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मुख्यमंत्री बघेल के सलाहकार विनोद वर्मा के बेटों-बहनोई से ईडी की पूछताछ

रायपुर। रायपुर में ईडी ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के राजनीतिक सलाहकार विनोद वर्मा के बाद उनके दोनों बेटों और बहनोई को पूछताछ के लिए दफ्तर बुलाया है। विनोद वर्मा बुधवार को खुद अपने बेटे पुनर्वसु, तथागत और बहनोई तुकेंद्र वर्मा को साथ लेकर राजधानी के पुजारी पार्क इलाके में स्थित ईडी के दफ्तर पहुंचे हैं। उन्होंने बताया कि गुरुवार को उनकी पत्नी को भी बुलाया गया है और वे उन्हें लेकर जाएंगे।

वर्मा ने कहा कि बच्चों को जिस तरह स्कूल छोड़ने जाता था, वैसे ही आज बच्चों को ईडी दफ्तर छोड़ने आया हूं। उन्होंने कहा कि पूछताछ में हम पूरा सहयोग कर रहे हैं। बस जांच निष्पक्ष होनी चाहिए। ईडी ने मुख्यमंत्री के सलाहकार वर्मा और सीएम के दो ओएसडी के यहां 23 अगस्त को छापा मारा था। इसके बाद 28 अगस्त को उन्हें पूछताछ के लिए ईडी कार्यालय बुलाया गया था अब बेटों को बुलाया है।

ईडी ने अब मेरे परिवार को बुला लिया है। मैं दोनों बेटों पुनर्वसु, तथागत और बहनोई तुकेंद्र वर्मा को ईडी के दफ्तर छोड़ आया हूं। कल मेरी पत्नी जया को बुलाया गया है। केंद्र सरकार के इशारे पर एजेंसियां चाहे जो कर ले वे मुख्यमंत्री और उनकी टीम के हौसले नहीं तोड़ सकती। छापे के बाद विनोद वर्मा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस लेकर ईडी के सारे आरोपों को सिरे से खारिज किया था। उन्होंने ईडी की छापेमारी का आधार एक मैगजीन में छपी मनोहर कहानी को बताया है। ऑनलाइन गेमिंग ऐप के मामले में गिरफ्तार आरोपी चंद्र भूषण वर्मा से अपने संबंधों को सिरे से खारिज किया। साथ ही ईडी की कार्रवाई को डकैती बताया है।

छापे के बाद मीडिया के सामने आकर विनोद वर्मा ने आरोप लगाया था कि ईडी अब अफवाहों पर काम कर रही है। उन्होंने कहा कि मैं 1987 से पत्रकार हूं और कुछ साल पहले राजनेता बन गया। मेरे पास कुछ भी नहीं है। उन्होंने कहा था कि ईडी कह रही है कि मैं 65 करोड़ रुपए की लॉन्ड्रिंग में शामिल हूं, जबकि मैंने अठन्नी भी लॉन्ड्रिंग नहीं की।

ईडी ने विनोद वर्मा पर लगाए हैं गंभीर आरोप

दुबई से संचालित होने वाले और ऑनलाइन सट्टेबाजी से संबंधित मनी लॉन्ड्रिंग जांच के सिलसिले में अरेस्ट किए गए एएसआई चंद्रभूषण वर्मा समेत 4 लोगों को कोर्ट ने न्यायिक रिमांड में जेल भेज दिया है। ईडी के मुताबिक एएसआई चंद्रभूषण का विनोद वर्मा से संबंध है और इसी आधार पर उसने पुलिस के कुछ पुलिस अधिकारियों और छत्तीसगढ़ में सत्ता में बैठे नेताओं को 65 करोड़ रुपए की रिश्वत दी। ये भी आरोप है कि विनोद वर्मा के जरिए से एएसआई वर्मा के मुख्यमंत्री कार्यालय तक संपर्क थे।

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