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भूकंप एक बार फिर मचाई नेपाल में भयानक तबाही, जाने क्यों नेपाल हमेशा बना रहता है भूकंप का केंद्र, क्या है इसके पीछे का विज्ञान

शुक्रवार देर रात 3 नवंबर को एक बार फिर से नेपाल में भूकंप के झटके महसूस किए गए है। इसका असर भारत के पूरे उत्तरी इलाको में भी देखने को मिला है। भारत के उत्तरी इलाको में भी लोगो ने भूकंप के तेज झटके महसूस किया है। बताया जा रहा है इस भूकंपका केंद्र नेपाल है और रेक्टर पैमाने पर इस भूकंप की तीव्रता 6.4 रही है। इसका केंद्र नेपाल होने के बावजूद भी इसके झटके भारत के उत्तरी राज्य से होते हुए दिल्ली एन सीआर तक महसूस किए गए है। बहराइच, बलरामपुर, श्रावस्ती, लखनऊ, कानपुर, गोरखपुर, नोएडा समेत पूरे यूपी और बिहार में भूकंप के झटके महसूस किए गए।

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इससे पहले साल 2015 में नेपाल में भयानक भूकंप आया था जिसके चलते नेपाल को भरी नुकसान उठाना पड़ा था और साल 2015 के भूकंप में करीब 3000 से ज्यादा लोगो ने अपनी जान गवाई थे। लेकिन कल आए भूकंप के चलते कितना नुकसान हुआ है इसका अभी तक कोई अनुमान नहीं है। आइए जानते है आखिर क्यों नेपाल में बार बार भूकंप के झटके महसूस होते होते है, क्या है इसके पीछे का कारण।

क्यों आते है नेपाल में बार बार भूकंप

हिमालय दो टेक्टोनिक प्लेटों के घर्षण से बना है जो कि एक ज्वालामुखी पर्वत है। जब एक टेक्टोनिक प्लेट नीचे और दूसरा टेक्टोनिक प्लेट घर्षण से ऊपर जाता है तो ज्वालामुखी व पहाड़ बनते हैं और उस क्षेत्र के आसपास के इलाकों में भूकंप देखने को मिलता रहता है। भूगोल के हिसाब से सातों महाद्वीप से पूर्व एक ही भूभाग हुआ करता था, जिसे पैंजिया कहते थे। पैंजिया जब टूटने लगा तो कई महाद्वीप बन गए।

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इन महाद्वीपों के भूभाग पर कई देश बसे हैं। इनमें से ही एक देश है नेपाल जो हिमालय की गोद में बसा हुआ है। दरअसल, इस क्षेत्र में पृथ्वी की इंडियन प्लेट यूरेशियन प्लेट के नीचे दब रही है। हर साल पांच सेंटीमीटर यह प्लेट दबती है। इस कारण हिमालय 5 मिलीमीटर ऊपर उठता जा रहा है। प्लेट दबने से चट्टानों के ढांचे में एक तनाव पैदा हो जाता है। जब यह तनाव चट्टानें बर्दाश्त नहीं कर पातीं तो भूकंप आता है। वैज्ञानिक अभी भी भूकंप के आने का अंदाजा नहीं लगा सकते हैं। हालांकि वैज्ञानिकों का मानना है कि हिमालयी क्षेत्र में यह ज्यादा आने की आशंका है।

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