by Anupam Tiwari
22 जनवरी को अयोध्या मे प्रभु श्रीराम विराजमान होने जा रहे हैं। इस दिन का सभी देशवासी बङे बेसब्री के साथ इंतजार कर रहे हैं। प्राण प्रतिष्ठा के दौरान पूरे देशभर मे देशवासी दीप जलाकर भगवान राम का स्वागत करेंगे। प्राण प्रतिष्ठा के लिए एक सप्ताह पूर्व से वैदिक अनुष्ठान किए जा रहे हैं। इस दिन को हर तरह से ऐतिहासिक बनाया जा रहा है, क्योंकि इस दिन मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम 500 सालों के वनवास के बाद अपनी जन्मभूमि अयोध्या लौट रहें हैं।
प्राण प्रतिष्ठा के वक्त सभी देशवासी श्रीराम जन्मभूमि मे मौजूद रहना चाहते है। लेकिन इस दिन सबका मौजूद होना मुश्किल है। अगर आप प्रभु श्रीराम का स्वागत करना चाहते हैं, तो घर पर हीं बनाएं अयोध्या जैसा माहौल। इन मंत्रो के उच्चारण से भगवान राम होंगे प्रसन्न…..
पूजा मंत्र
पूजा मे मंत्रो के सही उच्चारण का बहुत महत्व है। मान्यता है कि बिना मंत्र के जाप से प्राण प्रतिष्ठा की प्रक्रिया पूर्ण नहीं मानी जाती हैं। अर्थात् रामलला के प्राण प्रतिष्ठा इस मंत्र का उच्चारण करें।
‘मानो जूतिर्जुषतामज्यस्य बृहस्पतिर्यज्ञमिमं, तनोत्वरितष्टं यज्ञ गुम समिम दधातु विश्वेदेवास इह मदयन्ता मोम्प्रतिष्ठ।। अस्यै प्राणा: प्रतिष्ठन्तु अस्यै प्राणा: क्षरन्तु च अस्यै, देवत्य मर्चायै माम् हेति च कश्चन।। ऊं राम स्तुति श्रीमन्महागणाधिपतये नम: सुप्रतिष्ठितो भव, प्रसन्नो भव, वरदा भव।’
राम स्तुति
ऐसी मान्यता हैं कि प्राण प्रतिष्ठा के समय राम स्तुती का पाठ करना उत्तम होता है। इससे साधक को पारिवारिक सुख और धन की प्राप्ति होती है और सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। साथ ही संकट मोचन हनुमान जी प्रसन्न होते है।
राम चालीसा
प्राण प्रतिष्ठा के समय राम चालीसा का भी बहुत महत्व है। धार्मिक मत है कि विधिपूर्वक राम चालीसा का पाठ करने से साधक के जीवन की सभी परेशानियां खत्म हो जाती हैं और जीवन सुखमय होता है।
भगवान राम जी के भजन
रामलला के विराजमान होने का पूरा देश इंतजार कर रहा है। ऐसे में आप भगवान राम जी के किसी भी भजन का सुमिरन कर भगवान राम जी को प्रसन्न कर सकते हैं। जिससे भगवान राम आपके घर मे भी विराजमान हों।
प्राण प्रतिष्ठा पर होता क्या है–
किसी भी मूर्ति को एक परमात्मा का स्वरुप दिया जाता है, उस पूरे प्रतिक्रिया को प्राण प्रतिष्ठा कहते हैं। इस विधि को सफलतापूर्वक करने के लिए भगवान की भव्य पूजा,मंत्र,भजन,चालीसा तथा स्तुति किया जाता है। इस प्रकार से मूर्ति को जीवंत स्वरुप दिया जाता है।