नए संसद भवन के उद्घाटन को लेकर सत्ताधारी दल और विपक्ष के बीच चल रहा विवाद अभी खत्म भी नहीं हुआ। इसी बीच एक नया विवाद और शुरू हो गया। कांग्रेस ने दावा किया है कि सेन्गोल को लेकर भाजपा की सरकार द्वारा जो भी दावे किए जा रहे हैं, वह पूरी तरह से फर्जी और निराधार है। अंग्रेजों ने सत्ता हस्तांतरण के दौरान ऐसा कोई प्रतीक जवाहरलाल नेहरू को भेंट नहीं किया था। कांग्रेस के इस दावे पर भाजपा ने पलटवार किया है। भाजपा ने कहा कि राष्ट्रीय महत्व और आजादी से जुड़े महत्वपूर्ण तथ्यों को अनदेखी कर कांग्रेस ने शर्मनाक काम किया है।
सेन्गोल विवाद में सरकार की ओर से कांग्रेस पर हमले की कमान केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने स्वयं संभाल ली है। कांग्रेस के आरोपों पर पलटवार करते हुए उन्होंने कहा कि थिरूवदुधुरई अधीनम, शैव मत का एक पवित्र मठ है। इस मठ ने देश की आजादी के वक्त सेन्गोल की अहमियत के बारे में बताया था। कांग्रेस अब अधीनम मठ के इतिहास को भी फर्जी करार दे रही है। अमित शाह ने तंज कसते हुए कहा कि कांग्रेस को अपने व्यवहार पर विचार करना चाहिए। उन्होंने सवाल पूछा कि आखिर कांग्रेस भारतीय संस्कृति और परंपराओं से इतना नफरत क्यों करती है? भारत की स्वतंत्रता के प्रतीक के रूप में तमिलनाडु के एक पवित्र शैव मठ द्वारा पंडित नेहरू को पवित्र सेन्गोल राजदंड दिया गया था, लेकिन इसे ‘वाकिंग स्टिक’ के रूप में एक संग्रहालय में भेज दिया गया।
सनद रहे कि कांग्रेस के मीडिया प्रभारी जयराम रमेश ने ट्वीट और वक्तव्य जारी कर दावा किया था कि माउंटबेटन, सी राजगोपालाचारी और पंडित नेहरू के बीच सत्ता हस्तांतरण के प्रतीक के रूप में सेन्गोल देने के कोई दस्तावेजी सबूत मौजूद नहीं है। उन्होंने कहा कि यह पूरी तरह से कुछ लोगों के दिमाग में निर्मित कर व्हाट्सएप के माध्यम से फैलाया गया। अब मीडिया में इस पर ढोल पीटा जा रहा है।
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