जनजातीय समाज के कलाकारों के साथ मुख्यमंत्री ने बजाया पारंपरिक वाद्ययंत्र
- भाजपा के राष्ट्रीय संगठन महामंत्री बीएल संतोष, केंद्रीय राज्यमंत्री चंद्रशेखर भी कार्यक्रम में हुए शामिल
देशभर के जनजातीय युवाओं को प्रशिक्षण देने चलेगा अभियान
भोपाल। देश के पहले ग्रामीण जनजातीय तकनीकी प्रशिक्षण शुक्रवार को कुशाभाऊ ठाकरे सभागार में आयोजित किया जा रहा है। प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, केंद्रीय कौशल विकास एवं उद्यमशीलता राज्यमंत्री राजीव चन्द्रशेखर और भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय संगठन महामंत्री बीएल संतोष, राष्ट्रीय अध्यक्ष जनजातीय मोर्चा समीर उरांव और प्रदेश की तकनीकी शिक्षा मंत्री यशोधराराजे सिंधिया भी शामिल रहीं। राजधानी के कुशाभाऊ अंतर्राष्ट्रीय कन्वेंशन सेंटर में आयोजित प्रशिक्षण का शुभारंभ करने से पहले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने जनजातीय कलाकारों के साथ उनके पारंपरिक वाद्ययंत्र को बजाया और जमकर झूमे। कार्यक्रम में अपने संबोधन के दौरान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में जनजातीय भाई-बहनों की जिंदगी बदलने का अभियान चल रहा है। मध्यप्रदेश में पेसा एक्ट लागू किया जा रहा है। वन ग्राम राजस्व ग्रामों में परिवर्तित किया गया है। आज मैं मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री होने के नाते यह कह रहा हूं कि हमें ऐसे लाखों नौजवानों की जरूरत है जो जो गांवों में काम कर सकें। हर ग्राम पंचायत में 4 ग्रामीण इंजीनियर चाहिये। 22,800 हमारी ग्राम पंचायते हैं, यहां भी ग्रामीण इंजीनियर चाहिये। हाथ में कौशल हो, तो आप प्राइवेट और सरकारी कार्य भी कर सकते हैं। जब तक अपने दिल में अपने गांव और शहर को बेहतर करने की तड़प पैदा नहीं होगी, तब तक परिवर्तन संभव नहीं है। हम सब मिलकर प्रयास करेंगे और अपने गांव एवं शहर को बदल देंगे। मध्यप्रदेश में कोविड-19 के विरुद्ध हमने जनभागीदारी का एक नया मॉडल खड़ा किया और लोगों ने सरकार के साथ मिलकर प्रयास किया। जनभागीदारी के इस मॉडल की देश में सराहना हुई। मध्यप्रदेश में तेजी से निवेश आ रहा है। मेरे बेटे-बेटियों, शहर में तो तुम्हें काम मिलेगा ही, साथ ही गांव में भी रहने वाले युवाओं को रोजगार मिले, हम यह सुनिश्चित करेंगे।
देश भर में दिया जाएगा प्रशिक्षण
क्रिस्प के प्रबंध संचालक डा. श्रीकांत पाटिल ने बताया कि कौशल एवं उद्यमिता मंत्रालय एवं राष्ट्रीय कौशल विकास निगम के सहयोग से जनजातीय युवाओं के लिए संसदीय संकुल परियोजना शुरू की जा रही है। इसमें ग्रामीण जनजातीय युवाओं को तकनीकी प्रशिक्षण दिया जाएगा। उन्होंने बताया कि प्रयोग के तौर पर देश का पहला प्रशिक्षण मध्य प्रदेश में हो रहा है। प्रदेश में सफलता के बाद इसे पूरे देश में लागू किया जाएगा। 50 दिन का प्रशिक्षण शिविर रहेगा। जिसमें अलग-अलग विद्या का प्रशिक्षण दिया जाएगा। पहले चरण में मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात, राजस्थान, महाराष्ट्र और ओडिशा से चयनित 17 जिलों के 17 समूहों के लगभग 250 लाभार्थी शामिल होंगे। ज्ञात हो कि कि जनजातीय क्षेत्रों में रोजगार के अवसर बढ़ाने पर चर्चा के लिए 40 सांसदों का दो दिवसीय सम्मेलन मुंबई में आयोजित किया गया था। जिसमें विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञ एवं सरकारी संगठनों ने अनुभव साझा किए थे। दो साल में इस विषय पर विशेषज्ञों, अनुसूचित जनजाति संगठनों के साथ चर्चा के बाद ‘संसदीय अनुसूचित जनजातीय क्लस्टर विकास परियोजनाÓ का विचार आया।
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