2019 में हो चुका सर्वे, 2022 के आखिर में मुख्यमंत्री दे चुके निर्देश, लेकिन पालन नहीं हो पा रहा
भोपाल। मेट्रो ट्रेन को सीहोर तक बढ़ाने और इसे भोपाल का उपनगर बनाने के लिए मेट्रोपोलिटन रिजन का काम अब तक जमीन पर शुरू नहीं हुआ। दिल्ली एनसीआर या हैदराबाद मेट्रो डेवलपमेंट अथॉरिटी की तरह भोपाल को विकसित करने शहर विकास की सभी एजेंसियों को मिलाकर एक नई अथॉरिटी विकसित करना है, लेकिन ये अब तक नहीं हो पाई है।
जबकि 2019 में इसके लिए संबंधित अफसर सर्वे कर रिपोर्ट तैयार कर चुके हैं। सीहोर के साथ रायसेन के मंडीदीप- औबेदुल्लागंज तक भोपाल के उपनगर की विकसित करना है। भोपाल से लेकर संबंधित जिलों तक व्यवस्थाएं संभालेने अथॉरिटी विकसित कर शहर से जुड़े विभाग इसके अधिन करने थे, लेकिन ये काम अब तक पूरा नहीं हो पाया। हालांकि प्रमुख सचिव शहरी आवास एवं विकास नीरज मंडलोई का कहना है कि इसके लिए काम चल रहा है। बड़ा काम है, लेकिन जल्द पूरा किया जाएगा।
मेट्रोपॉलिटन रीजन व अथॉरिटी बनने के बाद इसमें शामिल सभी शहरों के लिए केंद्र व राज्य से मिलने वाले फंड एक ही खाते में संयुक्त तौर पर आएगा। एक ही प्रभारी अधिकारी होने से विभागों में सामंजस्य बढ़ेगा। संबंधित शहरों में उनके नाम से आई राशि के अनुपात में विकास खर्च होगा। ऐसे में राजधानी के आसपास के छोटे शहरों में भी बड़े प्रोजेक्ट की प्लानिंग बनाई जा सकेगी। इसके लिए राज्य सरकार को केंद्र से एमओयू साइन करना था, लेकिन ये नहीं हो पाया।
सिटी डवलपमेंट के लिए राज्य ने टीओडी-टीडीआर जैसी योजनाएं बनाई हैं। मेट्रोपॉलिटन रीजन अथॉरिटी में जुडऩे के बाद भोपाल मास्टर प्लान में फ्लोर एरिया रेशो की दर, टीओडी और टीडीआर पॉलिसी का फायदा आसपास के शहरों को भी मिलेगा। भोपाल के उपनगरों की तर्ज पर इनका विकास होगा। मेट्रो रेल सेवा का विस्तारीकरण होने से सीहोर से भोपाल, मण्डीदीप, रायसेन पहुंचने में लोगों को आधे से भी कम वक्त लगेगा। इसका सीधा असर औद्योगिकीकरण और रोजगार बढ़ोतरी के तौर पर होगा। मंडीदीप भोपाल से जुडऩे के बाद वैश्विक परिदृश्य में उभरेगा।