- असम के लोगों के लिए और भी बेहतर रोजगार के साधन राज्य में मौजूद रहेंगे।
उल्फा के सदस्यों को जिन्होंने सशस्त्र आंदोलन का रास्ता छोड़ दिया है।
पूर्वोत्तर में सशस्त्र उग्रवादी संगठनों से इस साल भारत सरकार का यह चौथा बड़ा समझौता है।
यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम (उल्फा) के वार्ता समर्थक गुट ने त्रिपक्षीय समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और असम के मुख्यमंत्री हेमंत बिस्वा सरमा की उपस्थिति में असम सरकार और केंद्र सरकार के साथ समझौता पत्र पर हस्ताक्षर किए। उल्फा के 700 लोगों ने शुकव्रार को आत्मसमर्पण कर दिया।
आपको बता दें, 40 साल में पहली बार सशस्त्र उग्रवादी संगठन उल्फा से भारत और असम सरकार के साथ शांति समाधान समझौते मसौदे पर दस्तखत हुए हैं। इस अवसर पर गृह सचिव अजय भल्ला, असम के डीजीपी जीपी सिंह एवं उल्फा ग्रुप के सदस्य उपस्थित थे। बता दें कि उल्फा से कई दौर की बातचीत हुई। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि असम में उग्रवाद का संपूर्ण समाधान है। गृह सचिव अजय कुमार भल्ला ने कहा कि आज एक ऐतिहासिक दिन है। हमारा मानना है कि पूर्वोत्तर के अन्य सभी संगठनों के साथ इस तरह के शांति समझौते पर हस्ताक्षर किए जाएंगे। पूर्वोत्तर में शांति समझौता के लिए उल्फा के साथ समझौते को लेकर गृहमंत्री अमित शाह की मौजूदगी में गृह मंत्रालय में बैठक हुई थी। इस बैठक के बाद समझौता पत्र पर हस्ताक्षर हुआ।
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सरकार का ऐतिहासिक समझौता हुआ
पूर्वोत्तर में शांति प्रयास की दिशा में गृह मंत्री अमित शाह की मौजूदगी में भारत सरकार का ऐतिहासिक समझौता हुआ। उल्फा यानी यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम के एक धड़े के 20 नेता पिछले एक हफ्ते से दिल्ली में थे और भारत सरकार असम सरकार के आला अधिकारी इसे समझौते के मसौदे पर राजी करवा रहे थे। उल्फा का यह धड़ा अनूप चेतिया गुट का है। इस समझौते के बाद पूर्वोत्तर में उग्रवाद समाप्ति की दिशा में भारत सरकार का बहुत बड़ा कदम होगा। दरअसल, 2011 से उल्फा के इस गुट ने हथियार नहीं उठाए हैं, लेकिन यह पहली बार है, जब बाकायदा एक शांति समझौते का मसौदा तैयार किया गया है ।