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रूस का नाम लिए बगैर पुतिन को नसीहत, नई दिल्ली घोषणापत्र में काम आई भारत की ट्रिक!

  • नई दिल्ली घोषणा पत्र को मंजूरी दी गई जिसे भारत की बड़ी कूटनीतिक सफलता के तौर पर देखा जा रहा है.
  • यूक्रेन युद्ध की चर्चा के बीच भी चीन और रूस ने सभी मुद्दों पर अपनी सहमति दे दी.
    नई दिल्ली,
    दिल्ली में चल रहे जी20 समिट में भारत ने इतिहास रच दिया. समिट के दूसरे सत्र में सदस्य देशों के बीच आम सहमति से नई दिल्ली घोषणा पत्र को मंजूरी दी गई जिसे भारत की बड़ी कूटनीतिक सफलता के तौर पर देखा जा रहा है. इसमें खास बात ये रही कि बिना नाम लिए पुतिन को नसीहत भी दी गई और मीटिंग में यूक्रेन युद्ध की चर्चा के बीच भी चीन और रूस ने सभी मुद्दों पर अपनी सहमति दे दी. जी20 मीटिंग के दौरान नई दिल्ली घोषणापत्र में देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उस चर्चित बयान को भी जगह दी गई है जिसमें उन्होंने रूस के राष्ट्रपति व्लादिर पुतिन से कहा था कि यह युद्ध का युग नहीं है. भारत की इसे बड़ी कूटनीतिक जीत इसलिए भी मानी जा रही है क्योंकि घोषणा पत्र में धरती, यहां के लोग, शांति, समृद्धि वाले खंड में चार बार यूक्रेन युद्ध की चर्चा की गई लेकिन रूस के नाम का एक बार भी उल्लेख नहीं किया गया फिर भी भारत ने इस पर आम सहमति बना ली. यहां यह जान लेना जरूरी है कि भारत-और रूस के बीच ऐतिहासिक संबंध हैं और दोनों देशों में गहरी दोस्ती है. विषम परिस्थितियों में रूस ने कई बार भारत की मदद भी की है.
    बिना नाम लिए रूस को दिया संदेश
    बैठक के दौरान यूक्रेन युद्ध के मामले में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद और महासभा में अपनाए गए प्रस्तावों को दोहराया गया और कहा गया कि सभी देशों को संयुक्त राष्ट्र चार्टर के अनुरूप ही काम करना चाहिए. इस घोषणा पत्र के जरिए रूस को संदेश दिया गया कि किसी भी देश की अखंडता, संप्रुभता का उल्लंघन और इसके लिए धमकी या बल के प्रयोग से बचना चाहिए. परमाणु हथियारों के इस्तेमाल की धमकी देना अस्वीकार्य है. बीते साल रूस द्वारा पश्चिमी देशों को परमाणु हमले की धमकी के संदर्भ में भी इस बयान को देखा जा रहा है. नई दिल्ली घोषणापत्र को इसलिए भी भारत की बड़ी जीत के तौर पर देखा जा रहा है कि राजधानी में आयोजित जी20 समिट में शुरुआत में यूक्रेन युद्ध और जलवायु परिवर्तन से जुड़े मुद्दों को शामिल किए जाने पर रूस और चीन ने आपत्ति जताई थी. यही वजह है कि शुक्रवार को समिट में मीटिंग के दौरान इस पर सहमति नहीं बनने के बाद य्रूकेन युद्ध से जुड़े पैराग्राफ को खाली छोड़ दिया गया था.
    पहले आपत्ति फिर मान गए रूस और चीन
    नई दिल्ली घोषणापत्र को लेकर भारत ने फिर कोशिश शुरू की और इस बार यूक्रेन युद्ध, जलवायु परिवर्तन, लैंगिक असमानता, आर्थिक चुनौतियां, आतंकवाद समेत कई मुद्दों पर सदस्य देशों के बीच आम सहमति बनाने में कामयाब हो गया जिस पर पहले चीन और रूस आपत्ति जता रहे थे. सभी देशों के बीच सहमति बनने के बाद पीएम मोदी ने कहा कि यदि सभी देश इन मुद्दों पर सहमत हो तो इसे मंजूर कर लिया जाए. इसके बाद उन्होंने समिट में बतौर अध्यक्ष घोषणा पत्र को सभी देशों द्वारा मंजूर कर लिए जाने का ऐलान किया जिसने भारत की कूटनीतिक जीत की इबारत लिख दी.
    यूक्रेन युद्ध को लेकर घोषणा पत्र में क्या?
    भारत के विदेश मंत्री जयशंकर ने यूक्रेन मुद्दे पर आम सहमति बनाने के लिए किए गए प्रयासों के बारे में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान भी जानकारी दी. उन्होंने कहा, “यह 83 पैराग्राफों की घोषणा है. इसमें बहुत सारे विषय शामिल हैं, लेकिन जाहिर है यूक्रेन में चल रहे युद्ध और उस पर अलग-अलग विचारों की वजह से बीते कुछ दिनों में भू-राजनीतिक मुद्दों के संबंध में काफी समय बीता.”

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