Home » दो महीने में 327 मौतें, 113 भूस्‍खलन और 58 फ्लैश फ्लड की घटनाएं, शिमला में स्‍कूल बंद

दो महीने में 327 मौतें, 113 भूस्‍खलन और 58 फ्लैश फ्लड की घटनाएं, शिमला में स्‍कूल बंद

  • हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा में 17 अगस्त को भी संकट के काले बादल छाए हुए हैं.
  • राज्य में अभी तक कुल 113 लैंड स्लाइड और 58 फ्लैश फ्लड की घटनाएं सामने आ चुकी हैं.
    शिमला.
    हिमाचल में 24 जून से लेकर अब तक 327 लोगों की मौत हो चुकी है. इन आपदाओं में 318 घायल हो चुके हैं. इस बार 41 साल बाद राज्य में बादल आफत बनकर बरसे हैं. राज्य में अभी तक कुल 113 लैंड स्लाइड और 58 फ्लैश फ्लड की घटनाएं सामने आ चुकी हैं. हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा में 17 अगस्त को भी संकट के काले बादल छाए हुए हैं. स्थानीय प्रशासन ने सुबह साढ़े 7 बजे से ही रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू कर दिया. स्थानीय लोगों की मदद से प्रशासन राशन की किट्स तैयार की हैं. ये किट्स मंड में फंसे लोगों तक हेलीकॉप्टर से भेजी जाएंगीं. ताकि, बीते चार दिनों से बाढ़ग्रस्त इलाके में बचे लोगों की भूख से मरने की नौबत न आए. दूसरी ओर, 16 अगस्त को आई प्राकृतिक आपदा के पीड़ित लोगों ने आपबीती सुनाई. उन्हें प्रशासन ने बड़ी मुश्किल से रेस्क्यू किया था. उन्होंने बताया कि घर का सारा राशन पानी में भीग गया था. इसके चलते पेड़ों पर लगे फलफूल खाकर गुजारा करना पड़ा. गौरतलब है कि, प्रशासन ने अब तक 1 हजार 731 लोगों को रेस्कयू किया है. प्रशासन ने 739 लोगों को हेलीकॉप्टर से रेस्कयू किया है. 780 लोगों को बोट के माध्यम से रेस्कयू किया गया है. जबकि, 212 लोगों को ट्रैक्टर और ट्रॉली के जरिये सुरक्षित बाहर निकाला गया. इंदौरा के मण्ड से 1 हजार 344 लोगों को सुरक्षित निकाला गया. यहां 564 लोगों को एयरलिफ्ट किया गया, तो वहीं 780 लोगों को बोट से बाहर निकाला गया.
    सरकार ने बनाए राहत शिविर
    इसी तरह फतेहपुर में 387 लोगों को सुरक्षित बाहर निकाला गया. प्रशासन ने 175 लोगों को हेलीकॉप्टर से, 212 लोगों को बोट से बाहर निकाला. बता दें, इस रेस्क्यू ऑपरेशन में वायुसेना के दो मिग-17 हेलीकॉप्टर लगातार जुटे हुए हैं. सेना के 60 तो एनडीआरएफ के 180 जवान दिन-रात रेस्कयू ऑपरेशन में दिन-रात जुटे हुए हैं. सरकार ने इन प्राकृतिक आपदा पीड़ितों के लिए पांच राहत शिविर बनाए हैं. एक राहत शिविर नूरपुर, फतेहपुर और दो इंदौरा में बनाए गए हैं. नूरपुर के लदरोड़ी, फतेहपुर के फतेहपुर ख़ास और बडूखर, जबकि इंदौरा के शेखपुरा और राम गोपाल मंदिर में लोगों को विस्थापित किया गया है.

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