वॉशिंगटन। समृद्धि के लिए हिंद-प्रशांत आर्थिक फ्रेमवर्क (आईपीईएफ) के भारत व अमेरिका समेत 14 सदस्य देशों ने स्वच्छ अर्थव्यवस्था समझौता वार्ता पूरी कर ली है। अब यह सभी देश समझौते का अंतिम मसौदा तय करने के लिए अपने घरेलू स्तर पर सलाह व कानूनी बिंदुओं पर विचार-विमर्श करेंगे। यह समझौता नेट जीरो कार्बन उत्सर्जन के लक्ष्य की दिशा में ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन में कटौती और टिकाऊ आजीविका को बढ़ावा देने से जुड़ा हुआ है।
मंत्री स्तर विचार-विमर्श खत्म
आईपीईएफ की ओर से जारी साझा बयान में कहा गया है कि सदस्य देश अब अंतिम मसौदे की दिशा में जरूरी कदम उठाएंगे। समझौते को अंतिम रूप दिए जाने के बाद इसे 14 देशों की ओर से हस्ताक्षर, पुष्टि और स्वीकृति के चरण से गुजरना होगा। बयान में कहा गया है, आज 14 आईपीईएफ भागीदारों ने सान फ्रांसिस्को आईपीईएफ स्वच्छ आर्थिक समझौता, निष्पक्ष आर्थिक समझौता और हिंद-प्रशांत आर्थिक फ्रेमवर्क समझौते पर में मंत्री स्तर का विचार-विमर्श खत्म कर लिया। इसमें कहा गया है कि स्वच्छ अर्थव्यवस्था समझौते के माध्यम से, सदस्य देश सतत विकास को बढ़ावा देने के साथ-साथ अपने साझा जलवायु उद्देश्यों और नेट जीरो कार्बन उत्सर्जन अर्थव्यवस्थाओं के लिए संबंधित राह पर सक्रिय रूप से आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
स्वच्छ ऊर्जा के लिए तकनीक अनुसंधान पर जोर
इस समझौते के माध्यम से आईपीईएफ भागीदारों का इरादा स्वच्छ ऊर्जा और जलवायु के अनुकूल तकनीक क्षेत्र में अनुसंधान, व्यावसायीकरण, पहुंच, सामर्थ्य और तैनाती में तेजी लाने का है। इसके अलावा कार्बन उत्सर्जन को कम करने और उत्पादकता बढ़ाने के लिए आधुनिक नीतियों, उपकरणों और प्रौद्योगिकियों के माध्यम से टिकाऊ कृषि प्रथाओं को आगे बढ़ाया जाएगा।