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बॉलीवुड के बहुप्रतीक्षित सीक्वल ‘फुकरे 3’ में अपनी हास्यपूर्ण हरकतों से दर्शकों को गुदगुदाने के लिए फुकरा गैंग एक बार फिर लौट आया है। उस हास्य और आकर्षण के आधार पर, जिसने ‘फुकरे’ और ‘फुकरे रिटर्न्स’ को इतनी पसंदीदा फिल्में बना दिया। यह गिरोह एक प्रफुल्लित करने वाली कॉमेडी के रूप में अपनी प्रतिष्ठा को बरकरार रखते हुए, अधिक दुस्साहस और हंसी के लिए वापस आ गया है।
कहानी फिल्म कि कहानी कि शुरूआत फुकरे 2 (फुकरे रिटर्न्स) के लस्ट पार्ट से होती हैं। चुचा और हनी स्कुल से पास ही नहीं होते हैं और फुकरा गैंग चूचे की सपने देखने की पावर से छोटे मोटे काम कर थोड़े बहुत पैसे कमा रहा होता हैं और वहीं उनहे इसी बीच पता चलता हैं कि भोली पंजाबन अब गैंगस्टर से राजनेता बन गई हैं और शहर में चुनाव लड़ रही हैं।भोली पंजाबन को पंडित जी (पंकज त्रिपाठी) से सबसे ज्यादा आस होती है। लेकिन सबको पता है कि अगर वह इलेक्शन जीत जाती है तो वह फिर से गलत काम करेगी और उसे रोकना मुस्किल हो जाएगा। इसलिए हनी औपृर पंडित जी चुचे को पंजाबन के सामने चुनाव मैदान पर उतर देते हैं। लेकिन, क्या चूचा यह पॉलिटिक्स गेम जीत पायेगा और क्या भोली पंजाबन चूचे को अपने सामने टिकने देगी यही इस फिल्म की असली कहानी है इसके आगे का जानने के लिए आपको थियेटर जाना होगा। रिव्यू फुकरे 3 भी अपनी सीरीज की दोनो पार्ट फुकरे 1 और फुकरे रिटर्स की तरह ही मजेदार और कॉमेडी से भरी मूवी है जो आपको खूब एंटरटेन करती है। और साथ ही इस मूवी में कुछ सोशल मैसेज भी दिया गया है। इस मूवी का फर्स्ट हाफ बहुत मजेदार है। इसके फर्स्ट हाफ में एक के बाद एक जबरदस्त फनी डायलॉग्स है जो आपको मनोरंजित करते है।मगर वही अगर सेकंड हाफ की बात करे तो अफ्रीका जो कहानी का हिस्सा बताया हुआ है वो बहुत खींचा हुआ और बोरिंग लगता है।और मूवी में सेकंड हाफ में कॉमेडी से जादा सोशल मैसेज पर फोकस किया गया है।