- होगा 10वीं और 12 वीं की बोर्ड परीक्षाओं के पैटर्न में बड़ा बदलाव
- तमिलनाडु और केरल की सरकारों ने नई राष्ट्रीय नीति को लागू करने से मना कर दिया
केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने बताया की 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षाओं के पैटर्न में बड़ा बदलाव होने जा रहा है। मानव संसाधन विकास मंत्रालय का नाम बदलकर शिक्षा मंत्रालय कर दिया ।जिसके मुताबिक साल में एक बार होने वाली बोर्ड परीक्षाएं अब दो बार होंगी। स्टूडेंट के दोनों एग्जाम में से जिसमें ज्यादा नंबर होंगे, उसे ही गिना जाएगा।
बुधवार को नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लेकर हुई बैठक में यह फैसला लिया गया। केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान के मुताबिक, नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 के तहत बोर्ड परीक्षाओं का नया ढांचा तैयार किया गया है। 2024 के शिक्षा सत्र में किताबें भी इसी हिसाब से तैयार जाएंगी।
इस नए पैटर्न को यह सोच कर बनाया गया है कि बच्चों का ध्यान विषयों पर बना रहे। ऐसा माना जा रहा है कि राज्यों के बोर्ड इस बारे में निर्देश जारी कर सकते हैं। फिलहाल नई शिक्षा नीति में 2 बार बोर्ड परीक्षाएं कराने की सिफारिश जोड़कर केंद्र को भेज दी गई है। उधर, तमिलनाडु और केरल की सरकारों ने नई राष्ट्रीय नीति को लागू करने से मना कर दिया है। कर्नाटक भी इसी दिशा में आगे बढ़ दिखा रहा है।
सब्जेक्ट चुनने की होगी छूट।
नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के मुताबिक अब 11वीं और 12वीं के स्टूडेंट्स को दो भाषाएं पढ़नी होंगी। इनमें से एक भारतीय भाषा होनी चाहिए। हालांकि, स्टूडेंट्स को सब्जेक्ट चुनने की छूट होगी। उन पर चुनी गई स्ट्रीम के आधार पर कोई प्रतिबंध नहीं होगा। ।
न्यू एजुकेशन पॉलिसी-2020 को ध्यान में रखकर किताबें तैयार की जाएंगी।
शिक्षा मंत्रालय ने बताया कि ऐकेडमिक सेशन 2024 के लिए किताबों में भी बदलाव किया जा रहा है। किताबों में अब भारी-भरकम सिलेबस भी नहीं रखा जाएगा। किताबों की कीमतें भी कम की जाएंगी। नया सिलेबस न्यू एजुकेशन पॉलिसी-2020 को ध्यान में रखकर तैयार किया जाएगा।ताकि विद्यार्थियों विषयों के कॉन्सेप्ट को समझे और रटने की प्रवृत्ति से बचें।
क्यों, होंगी दो बार परिक्षाएं
दो बार बोर्ड परीक्षाओं को लेकर कुछ तर्क भी दिए गए हैं। इसके मुताबिक इससे बच्चे अपनी तैयारियों का मूल्यांकन खुद कर सकेंगे।
उन्हें एक ही सब्जेक्ट या उससे जुड़े तथ्यों को सालभर याद रखने की जरूरत नहीं पड़ेगी। इसलिए नई किताबें भी तैयार कराई जा रही हैं।
इससे महीनों तक कोचिंग लेने या याद रखने के बजाय समझ और योग्यता का मूल्यांकन करने की दक्षता बढ़ेगी। विषयों की गहरी समझ और उसका व्यवहारिक कौशल सशक्त होगा।
कला-विज्ञान के अलावा भी नए विषय चुन सकेंगे
बच्चों को आर्ट, साइंस या कॉर्मस के अलावा नए विषय चुनने की आजादी होगी ।नए विषय भविष्य की जरूरतों के अनुसार होंगे। स्कूल बोर्डों को ऑन डिमांड परीक्षा कराने की क्षमता विकसित करनी होगी।केन्द्रिय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने बताया कि नई शिक्षा नीति का करिकुलम केंद्र को सौंप दिया है।
जुलाई 2020 में मंजूरी मिली थी
नई शिक्षा नीति 2020 भारत की शिक्षा नीति है जिसे भारत सरकार द्वारा 29 जुलाई 2020 को घोषित किया गया। सन 1986 में जारी हुई नई शिक्षा नीति के बाद भारत की शिक्षा नीति में यह पहला नया परिवर्तन है।इससे 34 साल पहले यानी 1986 में शिक्षा नीति बनाई गई थी। नई शिक्षा नीति अंतरिक्ष वैज्ञानिक के. कस्तूरीरंगन की अध्यक्षता वाली समिति की रिपोर्ट पर आधारित है। सरकार ने नई शिक्षा नीति पर केंद्र और राज्य के सहयोग से जीडीपी का 6% हिस्सा खर्च करने का लक्ष्य रखा है।