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अमेरिकन ऑन्कोलॉजी इंस्टीट्यूट (एओआई) हिसार द्वारा लेरिन्जियल कैंसर (वॉइस बॉक्स) नियोएडजुवेंट कीमोथेरेपी का सफलतापूर्वक इलाज

  • सीए लैरिंक्स को वॉइस बॉक्स या गले का कैंसर भी कहा जाता है।
    हिसार :
    अमेरिकन ऑन्कोलॉजी इंस्टीट्यूट (एओआई) हिसार ने एक मरीज का राइट सर्वाइकल लिम्फैडेनोपैथी (एलएपी) के माध्यम से सफलतापूर्वक इलाज किया। 52 वर्षीय पुरुष मरीज सीए लैरिंक्स से पीड़ित थे। सीए लैरिंक्स को वॉइस बॉक्स या गले का कैंसर भी कहा जाता है। लैरिंक्स या कंठनली गले का एक हिस्सा है, जो जीभ के आधार और श्वासनली (ट्रेकिआ) के ऊपरी हिस्से के बीच स्थित होता है। लैरिंक्स वोकल कॉर्ड्स को शामिल करता है, जो हवा के विपरीत दिशा में निर्देशित होने पर कंपन करते हैं और ध्वनि उत्पन्न करते हैं। किसी व्यक्ति की आवाज़ बनाने के लिए यह ध्वनि, ग्रसनी या फैरिंक्स (भोजन नली का ऊपरी भाग), मुँह और नाक से होकर गुजरती है। सर्वाइकल लिम्फैडेनोपैथी (एलएपी) गर्दन में स्थित लिम्फ नोड्स की सूजन को इंगित करता है। मरीज को गर्दन के दाहिने हिस्से में सूजन, गले में दर्द और सामान्य कमजोरी की शिकायत थी। इसके उपचार के लिए उन्होंने हिसार में एओआई में सिफारिश की। बीमारी के बढ़ने के कारण मरीज के लिए आवाज़, श्वसन और भोजन का सेवन करना किसी चुनौती से कम नहीं था। एओआई में मेडिकल ऑन्कोलॉजिस्ट डॉ. त्रिविक्रम राव की विशेष देखभाल और विशेषज्ञता के तहत मरीज का व्यापक मूल्यांकन किया गया और इलाज के सबसे उपयुक्त कोर्स को निर्धारित किया गया। मूल्यांकन के बाद, डॉक्टर द्वारा नियोएडजुवेंट कीमोथेरेपी की सलाह दी गई, और इसके बाद एओआई में रेडिएशन ऑन्कोलॉजिस्ट, डॉ.सुमीत अग्रवाल द्वारा रेडिएशन योजना बनाई गई। डॉ. सुमीत अग्रवाल कहते हैं, “भारत में रहने वाले पुरुषों में सिर और गर्दन के कैंसर (एचएनसी) सबसे आम कैंसर होते हैं। इस बीमारी में भारत दूसरे स्थान पर है। हालाँकि, भारत में एचएनसी की व्यापकता और शरीर में इनके फैलने के मामले अलग-अलग होते हैं। देश में हर वर्ष सिर और गर्दन के कैंसर के 200,000 से अधिक मामले सामने आते हैं। इनमें से अधिकांश कैंसर का निदान उन्नत चरणों में किया जाता है, इसलिए, जितनी जल्दी हो सके, इनका पता लगाना बहुत महत्वपूर्ण है।” वे आगे कहते हैं, “इस मामले में हमारी मल्टी-डिसीप्लीनरी विशेषज्ञों की टीम ने साथ मिलकर एक प्रभावी उपचार योजना तैयार की। इस उपचार के दौरान ट्यूमर को लक्षित किया गया और मरीज की विशिष्ट आवश्यकताओं को संबोधित किया। इस उपचार दृष्टिकोण की प्रभावशीलता, नियोएडजुवेंट कीमोथेरेपी के प्रति सकारात्मक प्रतिक्रिया और अनुकूल परिणाम को दर्शाती है।”

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