इंदौर। भारतीय ओलंपिक संघ (आइओए) के अध्यक्ष नरदिंर बत्रा ने कहा कि टारगेट ओलंपिक पोडियम (टाप्स) योजना में खिलाड़ियों को नाम नहीं प्रदर्शन देखकर शामिल किया जाता है। इसके लिए खिलाड़ी का पिछले डेढ़ वर्ष का प्रदर्शन काफी मायने रखता है।
आइओए के अध्यक्ष बत्रा ने शुक्रवार को मीडिया से चर्चा के दौरान एक सवाल के जवाब में यह बात कही। उनसे पूछा गया था कि शीर्ष टेनिस खिलाड़ी सानिया मिर्जा जैसी नामी खिलाड़ी को टाप्स में जगह क्यों नहीं मिली। भारतीय खेल प्राधिकरण (साई) की महती टाप्स योजना के सदस्य बत्रा ने स्पष्ट किया कि इस योजना में शामिल किसी भी खिलाड़ी के नाम यानी कुछ सालों पहले सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन को नहीं देखा है। समिति खिलाड़ी के पिछले डेढ़ वर्ष के प्रदर्शन का लेखा-जोखा देखती है। उसके आधार पर खिलाड़ी को इस योजना में लिया जाता है। हमारा लक्ष्य अगले 2024 और 2028 का ओलंपिक है और इसी को ध्यान में रखते हुए तैयारी की जा रही है। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि टीम खेलों में खिलाड़ी ज्यादा होते है लेकिन पदक एक ही मिलता है। इसलिए हमने अपना ध्यान एकल खेलों पर केंद्रित कर रखा है। जूनियर खिलाड़ियों को हरसंभव मदद दी जा रही है। ओलंपिक के लिए अब तक 90 से अधिक खिलाड़ियों ने पात्रता हासिल कर ली है। उम्मीद है कि यह संख्या करीब 125 तक पहुंच जाएगी। कुल 200 लोगों का दल टोक्यो जाएगा।
आइओए से संबध्द राष्ट्रीय महासंघों के विवाद के निपटारे के लिए बनी एथिक्स समिति के प्रमुख बत्रा ने कहा कि एथिक्स समिति में वहीं व्यक्ति अपील कर सकता है, जो आइओए का सदस्य है। गैर सदस्य को अपील की पात्रता नहीं होती है। अपील के लिए एक लाख रुपये की फीस लगती है। ऐसा इसलिए होता है कि वास्तविक व्यक्ति ही एथिक्स समिति के सामने अपील कर सकें। फिलहाल समिति के पास करीब सात मामले विचाराधीन है।
राज्य ओलंपिक संगठनों में हस्तक्षेप करने के सवाल पर बत्रा ने कहा कि भले ही किसी भी राज्य में खेलों के तीन-तीन संगठन हो लेकिन हम राज्य ओलंपिक संगठन की अनुशंसा पर मान्यता देते हैं। हम राज्य ओलंपिक संगठन के कामकाज में कोई हस्तक्षेप नहीं करते हैं। इस मामले में हम किसी चिट्ठी को महत्व नहीं देते हैं। हाकी इंडिया से जुड़े सवाल का जवाब देने को लेकर बत्रा बचते नजर आए। इस दौरान मप्र ओलंपिक संगठन के अध्यक्ष रमेश मेंदोला और सचिव दिग्विजय सिंह ने बत्रा का सम्मान किया।
खेलों के लिए कोविड का दौर गुजरा
भले ही देश में कोरोना की दूसरी लहर जोर पकड़ रही है कि लेकिन बत्रा मानते हैं कि खेलों के कोविड का दौर गुजर चुका है और देशभर में खेलों की गतिविधियों ने जोर पकड़ लिया है। अभी कई खेलों की कैडेट से लेकर जूनियर स्तर की राष्ट्रीय स्पर्धाएं हो चुकी हैं और कुछ खेलों की राष्ट्रीय स्पर्धाएं चल रही हैं। इसलिए कहा जा सकता है कि खेलों के लिए कोविड का दौर गुजर चुका है।