- भगवान कृष्ण का जन्म मथुरा के कारावास में रात्री के 12 बजे रोहिणी नक्षत्र में हुआ था ।
- श्री कृष्ण की मूर्ति को गंगाजल पंचामृत से स्नान कराने के बाद वस्त्र पहनकर उनका श्रृंगार करें ।
आज श्री कृष्ण जन्माष्टमी देश पूरे धूम-धाम से मनाई जा रही है। आज देश में हर जगह कन्हईयां लाल के जयकारे सुनाई दे रहे है। भगवान कृष्ण का जन्म मथुरा के कारावास में रात्री के 12 बजे रोहिणी नक्षत्र में हुआ था । इसलिए कृष्ण जन्माष्टमी की पूजा भी मध्य रात्री के 12 बजे की जाती हैं। इस साल श्री कृष्ण जन्माष्टमी 6 और 7 दिसंबर दोनों ही दिन मनाई जा रही है। आज हम आपको श्री कृष्ण जन्माष्टमी की पूजा विधि के बारे में बताने जा रहे हैं।
जन्माष्टमी की पूजा विधि –
जन्माष्टमी के व्रत से एक दिन पहले सात्विक भोजन करें अगले दिन अष्टमी की सुबह उठकर स्नान ध्यान करके लड्डू गोपाल के साथ-साथ सभी देवताओं को नमस्कार करें । पूरे दिन उपवास रखें रात्रि को 12:00 बजे लड्डू गोपाल की मूर्ति को एक चौकी पर साफ लाल या पीला कपड़ा बिछाकर स्थापित करें । श्री कृष्ण की मूर्ति को गंगाजल पंचामृत से स्नान कराने के बाद वस्त्र पहनकर उनका श्रृंगार करें ।
रोली चंदन अक्षत का तिलक लगाकर माखन मिश्री लड्डू मिठाई का भोग लगाएं । उनकी मूर्ति को धूप और दीप दिखाएं ।पूजा में पंचामृत का उपयोग जरूर करें , जिसमें तुलसी का पत्ता अवश्य हो फिर भगवान से पूजा में हुई किसी भी तरह की गलती के लिए क्षमा प्रार्थना करें और दया दृष्टि रखने का आग्रह करें। इस बीच श्री कृष्ण के लिए भजन गाते हुए या इस मंत्र हरे राम, हरे राम, राम राम, हरे हरे, हरे कृष्ण, हरे कृष्ण, कृष्ण कृष्ण, हरे हरे का उच्चारण करते हुए । उन्हे झूला झुलाए ।अंत में श्री कृष्ण की आरती उतारे और पूजा का समापन करें ।