शरदीय नवरात्रि की शुरुआत 15 अक्टूबर 2023 से हो गई है और 23 अक्टूबर तक यानि नवरात्री में माँ दुर्गा के अलग अलग स्वरूपों की पूजा की जाएगी। आज यानि 16 अक्टूबर 2023 को नवरात्रि का दूसरा दिन है। नवरात्री के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणीकी पूजा की जाती है। ये मां दुर्गा का दूसरा स्वरूप और नौ शक्तियों में से दूसरी शक्ति हैं। ब्रह्म का अर्थ है तपस्या और चारिणी यानी आचरण करने वाली। इस प्रकार ब्रह्मचारिणी का अर्थ हुआ तप का आचरण करने वाली। इनके दाहिने हाथ में जप की माला एवं बाएँ हाथ में कमण्डल रहता है। कहते हैं कि मां ब्रह्मचारिणी विश्व में ऊर्जा का प्रवाह करती है और उनकी पूजा अर्चना करने से आपको सुख शांति मिलती है। आइये जानते है क्या है देवी पूजन कि सही विधि, सही मुहर्त, पूजन सामग्री, और आरती मंत्र।
मां ब्रह्मचारिणी पूजा का शुभ मुहूर्त
मां ब्रह्मचारिणी देवी के पूजन एवं आराधना करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है। आप नवरात्रि के दूसरे दिन देवी ब्रह्मचारिणी की विधि-विधान से पूजा करने वाले हैं तो अमृत काल में सुबह 6 बजकर 27 मिनट से 7 बजकर 52 मिनट तक पूजा कर सकते हैं। वहीं, शुभ काल में सुबह 09:19 से 10:44 बजे तक देवी दुर्गा की पूजा कर सकते हैं। जो लोग शाम को पूजा करते हैं, उनके लिए शुभ और अमृत काल में सांय 03:03 से 05:55 बजे तक मुहूर्त रहेगा।
मां ब्रह्मचारिणी को ऐसे बनके चढ़ाये यह नैवेद्य
दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी को नैवेद्य में मिश्री, शक्कर और पंचामृत अर्पित किए जाते हैं। ठंडा चरणामृत मिश्री
सामग्री
दही- 2 बड़े चम्मच, ताजी मलाई- 2 छोटे चम्मच, तुलसी- 4-5 पत्तियां, शक्कर- 5 छोटे चम्मच, चिरौंजी- 1 छोटा चम्मच, घी- 1½ छोटा चम्मच, शहद- 1 छोटा चम्मच, मिश्री – 1 छोटा चम्मच, दूध- 1 छोटा चम्मच।
विधि
बोल में दही व मलाई मिलाएं। दूध, शक्कर व शहद डालकर शक्कर घुलने तक मिलाएं। चिरौंजी, तुलसी, मिश्री और घी मिलाएं। घोल को आइस ट्रे या मोल्ड में डालकर फ्रीज़र में रखें। ठंडा-ठंडा भोग देवी को चढ़ाएं।
मां ब्रह्मचारिणी पूजन सामग्री
अक्षत, चंदन पीला व लाल चंदन, श्रृंगार सामग्री, कुमकुम, हल्दी, मेहंदी, गुलाल, अन्न, मौली, इत्र, नारियल, लौंग, इलाइची और पान के पत्ते,
कपूर, धूप-दीप, घी, फूल, (गुड़हल, कमल और गुलाब), गंगा जल और फल
मां ब्रह्मचारिणी की पूजा विधि
शास्त्रों में बताया गया है इस अवतार में माता एक महान सती थीं। महर्षि नारद के कहने पर अपने जीवन में भगवान महादेव को पति के रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या की थी। इस दिन उनके अविवाहित रूप की पूजा की जाती है। नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा में ऐसे वस्त्र पहनें जिसमें सफेद और लाल रंग का मिश्रण हों। सफेद रंग का कमल चढ़ाएं, इस दौरान ह्रीं का जाप करें। माता की कथा पढ़े और अंत में आरती कर दें। मां ब्रह्मचारिणी का प्रिय भोग शक्कर और पंचामृत है।
ब्रह्माचारिणी देवी की आरती
जय अंबे ब्रह्माचारिणी माता।
जय चतुरानन प्रिय सुख दाता।
ब्रह्मा जी के मन भाती हो।
ज्ञान सभी को सिखलाती हो।
ब्रह्मा मंत्र है जाप तुम्हारा।
जिसको जपे सकल संसारा।
जय गायत्री वेद की माता।
जो मन निस दिन तुम्हें ध्याता।
कमी कोई रहने न पाए।
कोई भी दुख सहने न पाए।
उसकी विरति रहे ठिकाने।
जो तेरी महिमा को जाने।
रुद्राक्ष की माला ले कर।
जपे जो मंत्र श्रद्धा दे कर।
आलस छोड़ करे गुणगाना।
मां तुम उसको सुख पहुंचाना।
ब्रह्माचारिणी तेरो नाम।
पूर्ण करो सब मेरे काम।
भक्त तेरे चरणों का पुजारी।
रखना लाज मेरी महतारी।