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कहा हैं बद्रीनाथ धाम

  • बद्रीनाथ मंदिर या बद्रीनारायण मंदिर उतराखण्ड के चमोली जिले में विष्णुप्रयाग के बाद अलकनंदा नदी के दक्षिण तट पर नर -नारायण दो पर्वतों के बीच स्थित है ।
    बद्रीनाथ धाम भगवान विष्णु को समर्पित सर्वाधिक पवित्र स्थानों में से एक है। बद्रीनाथ मंदिर या बद्रीनारायण मंदिर उतराखण्ड के चमोली जिले में विष्णुप्रयाग के बाद अलकनंदा नदी के दक्षिण तट पर नर -नारायण दो पर्वतों के बीच स्थित है । मंदिर के नाम पर आस -पास बसे नगरों को भी बद्रीनाथ ही कहा जाता है । चार महत्वपुर्ण तीर्थ स्थान यमुनोत्री,गंगोत्री ,केदारनाथ और बद्रीनाथ को चार धामों को रूप में जाना जाता है ।बद्रीनाथ लगभग 3,100 मीटर की ऊंचाई पर स्थ्ति है ।
    क्या है मान्यताएं
    बद्रीनाथ धाम भगवान विष्णु के प्रति अटूट श्रद्धा और आस्था का केंद्र है । ऐसा माना जाता है कि मंदिर जाने और भगवान के दर्शन करने से व्यक्ति के सारे पाप धूल जाते हैं और व्यक्ति जन्म और मृत्यु के चक्र से भी मुक्त हो जाता हैा
    पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान विष्णु को यह स्थल बहुत पसंद आया था ।जिसके बाद भगवान विष्णु वहां तपस्या करने लगे जब वह तपस्या में लीन थे तो वहां अचानक हिमपात होने लगा ।उनका ध्यान भंग न हो इसलिए मां लक्ष्मी ने बद्री वृक्ष का रूप धारण किया और भगवान विष्णु को हिमपात से बचाया ।तपस्या के बाद जब भगवान ने आँखो खोली तो उन्होने देखा की उनकी तपस्या को सफल बनाने के लिए मां लक्ष्मी बद्री वृक्ष का रूप धारण किए हुए स्वयं बर्फ से ढ़की हुई हैं ।
    यह देखकर भगवान विष्णु ने माता लक्ष्मी से कहा कि देवी जितनी तपस्या मैंने की उतनी ही आपने भी की है ।इसलिए इस स्थान पर मेरे साथ आपकी भी पूजा होगी और आज के बाद इस स्थान पर मेरी पूजा बद्री के नाथ यानी बद्रीनाथ के नाम से होगी ।
    इस स्थल से जुड़ी औऱ भी कई मान्यताएं है
    पौराणिक मान्यताओँ के अनुसार भगवान विष्णु से पहले यह भगवान भोले नाथ और माता पार्वती की भूमि थी । विष्णु जब अपने ध्यानयोग हेतु उचित स्थान खोज रहे थे, तब उन्हें अलकनन्दा के समीप यह स्थान बहुत भा गया। जिसके बाद भगवान विष्णु ने बाल रूप धारण किया, और क्रंदन करने लगे। उनके रोने की आवाज सुन कर माता पार्वती का हृदय ममत्व से भर उठा, और वो बालक के समीप आकर उसे मनाने का प्रयास करने लगी, तब विष्णु जी ने उनसे ध्यानयोग करने के लिए यह स्थान मांग लिया। उसके बाद यह स्थान बद्रीनाथ के नाम से जाना जाने लगा।
    पुराणों के अनुसार यह भी माना जाता है कि धर्म के दो पुत्र नर और नारायण ने धर्म के विस्तार के लिए कई वर्षो तक यहां तपस्या की तथा अगले जन्म में क्रमश: उन्होने ही अर्जुन और कृष्ण के रूप में जन्म लिया । अन्य मान्यताओं के अनुसार पांडव इसी रास्ते स्वर्ग गए थे तथा अपने पितरों का पिंडदान भी यही किया था । इसलिए बद्रीनाथ के ब्रह्मकपाल क्षेत्र में कई तीर्थयात्री अपने पितरों की शांति के लिए पिंडदान भी करते है ।
    बद्रीनाथ जाने का सही समय जाने
    बद्रीनाथ मंदिर के कपाट अप्रैल से मई महीने के अक्षय तृतीय को 6 महीने के लिए खुलते है तथा अक्टूबर और नवम्बर महीने के कार्तिक पूर्णमा को 6 महीनों के लिए बंद कर दिए जाते है ।
    जुलाई और अगस्त के महिने में यात्रा करने से बचें क्योंकि अधिक बरसात होने के कारण भूस्खलन की संभावना बढ़ जाती है । इस कारण रास्तें कई बार बंद हो जाते और आप जाम में फंस भी सकते है ।मई और जून के सीजन में बद्रीनाथ में बहुत भीड़ होती है ।तो अगर आप भीड़ से बचना चाहते है तो आपके लिए अक्टूबर और नवम्बर का महीना बद्रीनाथ यात्रा के लिए सबसे अच्छा होगा ।
    बद्रीनाथ कैसे जाएं
    हवाई मार्ग द्वारा-
    अगर आप हवाई यात्रा करना चाहते है तो जॉली ग्रांट हवाई अड्डा बद्रीनाथ का निकटतम हवाई अड्डा है जो बद्रीनाथ से 314 किमी की दूरी पर स्थित है वहां पहुच कर आप बद्रीनाथ के लिए टैक्सी ले सकते है ।
    रेल मार्ग द्वारा –
    ऋषिकेश और हरिद्वार रेलवे स्टेशन बद्रीनाथ के निकटतम रेलवे स्टेशन है। ऋषिकेश के लिए ट्रेनें अक्सर चलती है । वहा पहुंच कर आप बद्रीनाथ के लिए टैक्सी और बस ले सकते हैं ।
    सड़क मार्ग द्वारा-
    बद्रीनाथ उत्तराखंड राज्य के प्रमुख स्थलों के साथ मोटर योग्य सड़कों द्वारा अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है देहरादून, हरिद्वार, ऋषिकेश, पौड़ी, रुद्रप्रयाग, कर्णप्रयाग, ऊखीमठ, श्रीनगर, चमोली आदि से बद्रीनाथ के लिए बसें और टैक्सी आसानी से मिल जाती हैं। आप चाहे तो red bus या make my trip से भी बूकिंग कर सकते है।
    इसके अलावा आपको बद्रीनाथ दर्शन के लिये E-PASS की आवश्यकता |हैं नहीं तो आप बद्रीनाथ पहुंच कर भी दर्शन नहीं कर पाएंगे ।आप अगर कोई भी चार धाम की यात्रा करते है तो आपकों E-PASS बनाना अनिवार्य है।
    इस्के लिये आप devasthanam.uk.gov.in की वेबसाइट पर जाकर भी अपना पंजीकरण करा सकते।
    बद्रीनाथ में रूकने की व्यवस्था –
    बद्रीनाथ में बहुत से आश्रम और यात्री निवास बने हुए है जहां आप रूक सकते है । इसके अलावा कई होटल भी वहां मौजूद है । जिनकों आप आसानी से बूक कर सकते हैं।
    इन बातों पर भी दें ध्यान –
    Travel Guide
    अगर आप बद्रीनाथ की यात्रा पर जा रहे हैं तो आप रेनकोट और थोड़े गर्म कपड़े भी पैक करले क्योकिं बद्रीनाथ पहाडों में है और वहां का मौसम कभी भी बदल जाता है इसलिए आपकों पूरी तैयारी के साथ जाना चाहिेए। जाने से पहले एक बार आपने डॉक्टर से परामर्श जरुर करे, क्योंकि वहां आक्सिजन का कमी हो सकती है और अन्य कई स्वास्थ्य सम्बन्धी चुनौतीयों का सामना भी आपको करना पड़ सकता है । – (रिंकी कुमारी )

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