बैसाखी का पर्व पूरे देश में धूम-धाम से मनाया जा रहा है। वैशाखी मुख्य रूप से किसानों का पर्व है। इस दिन किसान अपनी फसल की कटाई पर खुशियां मनाता है औऱ एक-दूसरे के साथ साझा भी करता है। वैसे तो बैसाखी पूरे देश में मनाई जाती है लेकिन पंजाब, हरियाणा, दिल्ली आदि राज्यों में प्रमुखता दी जाती है। आइए हम आपको बैसाखी पर्व के धार्मिक महत्व, पूजा के उपाय और इससे जुड़ी मान्यताओं के बारे में बताते हैं।
बैसाखी का धार्मिक महत्व
बैसाखी के इस पावन पर्व का हिंदू और सिख धर्म दोनों में बहुत ज्यादा महत्व है। क्योंकि वास्तव में इस समय किसानों की नई फसल आती है, इसी खुशी में ये पर्व मनाया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इसी बैसाखी के दिन सिखों के दसवें गुरु यानि गुरु गोविंद सिंह ने खालसा पंथ की स्थापना की थी। वहीं बात करें हिंदू धर्म के मान्यता की तो माना जाता है कि इस दिन सूर्य मीन राशि से निकलकर मेष राशि में प्रवेश करता है।
बैसाखी पर्व के पूजा का उपाय
- इस दिन सुबह उठकरक भगवान सूर्य देव की पूजा की जाती है।
- इस दिन सभी सनातनी किसी भोर में उठकर पवित्र नदी या सरोवर पर जाकर स्नान एवं दान करते हैं।
- बैसाखी के दिन भगवान श्री विष्णु के स्वरूप सूर्य नारायण की पूजा की जाती है।
- और उनके स्तोत्र का पाठ करना शुभ माना जाता है।
दान से दूर होंगे सारे दु:ख
शास्त्रों के अनुसार बैसाखी के दिन गेहूं के दान का विशेष महत्व है। करना यदि किसानों को नई पैदावार में से निकालकर गेहूं का दान करना चाहिए।
सिख्खों में वैशाखी का महत्व
सिख लोग इस दिन लोग भोर में नहा धोकर गुरुद्वारे जाते हैं और वहां पर कारसेवा करते हैं। सिख्खों में मान्यता है कि सेवा से गुरु की कृपा बरसती है। बैसाखी के पूरे दिन गुरुद्वारे में शबद-कीर्तन चलता है। लोग गुरुग्रंथ साहिब के सामने मत्था टेक कर कड़ाह प्रसाद ग्रहण करते हैं और जीवन में पूरे साल खुशहाली बनी रहने की कामना करते हैं