विश्वकर्मा पूजा कन्या संक्रांति के दिन मनाई जाती है। हर साल विश्वकर्मा पूजा 17 सितंबर को मनाई जाती है। भगवान विश्वकर्मा सृष्टि के सृजनकर्ता और प्रथम शिल्पकार के रूप में जाने जाते है। इस दिन लोग भगवान विश्वकर्मा के रूप में धातु के ओजारो की और वाहनों की पूजा करते हैं।विश्वकर्मा जयंती हर जगह अलग अलग तरीके से और बहुत धूम धाम से मनाई जाती है। आज लगभग देश भर में बारिश रही हैं पर फिर भी मूर्तिकार ने हर साल की तरह उसी ऊर्जा और उसी लगन के साथ मूर्तियो को अंतिम रूप देने में लगे हुए हैं। वहीं लोग इसके बीच विश्वकर्मा पूजा के कार्यक्रम मानाने की तयारियो में लगे हुए हैं।
जानें विश्वकर्मा पूजा का महत्व
क्या आप जानते हैं? भगवान विश्वकर्मा को ही सृष्टि का पहला वास्तुकार, शिल्पकार और इंजीनियर माना जाता है। इस दिन भगवान विश्वकर्मा की पूजा करने से सभी व्यापार या निर्माण आदि संबंधित कार्यों में कोई रुकावट नहीं आती है। नौकरी और व्यापार में उन्नति के योग बनते हैं और साथ ही सारी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।भगवान विश्वकर्मा की पूजा करने से कार्य सफल होते हैं। आपके कंप्यूटर,वाहन बेवक्त खराब नहीं होते हैं ।भगवान विश्वकर्मा की कृपा से आप कभी से दुर्घटनाग्रस्त नहीं होते हैं।
कब हैं पूजा का शुभ मुहूर्त
वैदिक पंचांग के अनुसार, इस साल कन्या संक्रांति 17 सितंबर 2023, रविवार के दिन है। ऐसे में विश्वकर्मा भगवान की पूजा भी इसी दिन की जाएगी। पचंग अनुसार, पूजा समय सुबह 10 बजकर 15 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 26 मिनट तक रहेगा और इसी समय सूर्य गोचर करेंगे।
जानिए पूजा की विधि
विश्वकर्मा पूजा के दिन सुबह जल्दी उठकर घर,ऑफिस, दुकान, वर्कशॉप, फैक्ट्री आदि छोटे या बड़े संस्थान की पूरी तरह साफ सफाई के साथ सभी उपकरण, औजार, सामान, मशीन की भी साफ सफाई करें। इसके बाद स्नान व ध्यान करें और साफ कपड़े पहनें। पूजा के लिए सबसे पहले पूजा स्थल पर कलश स्थापित करें और फिर चौकी पर लाल या पीला कपड़ा बिछाकर विश्वकर्मा की तस्वीर या मूर्ति स्थापित करें और माला पहनाएं। इसके बाद हाथ में फूल और अक्षत लेकर ध्यान करें। इसके बाद फूल अक्षत लेकर मंत्र पढ़ें और चारो ओर छिड़कें। इसके बाद सभी मशीन व औजार आदि पर रक्षा सूत्र बांधे और प्रणाम करें। फिर भगवान को फल, मिष्ठान आदि का भोग लगाएं। साथ में पूरे संस्थान और मशीन, औजार आदि चीजों की भी आरती करें। पूजन में भगवान विष्णु का भी ध्यान करें और यज्ञ आदि का आयोजन करें। जहां पूजा कर रहे हों, उस परिसर में हर जगह आरती लेकर जाएं और भोग सभी में वितरण कर दें। पूजा के बाद भगवान विश्वकर्मा से सफलता की कामना करें।
इन मंत्रों का जप करने से प्रसन्न होंगे भगवान विश्वकर्मा
ॐ आधार शक्तपे नम:, ॐ कूमयि नम:, ॐ अनंतम नम:, ॐ पृथिव्यै नम: