धार्मिक दृष्टिकोण से माघ मास का बहुत अधिक महत्व है। यही वजह है कि प्राचीन पुराणों में भगवान नारायण को पाने का सुगम मार्ग माघ मास के पुण्य स्नान को बताया गया है। माघ मास में खिचड़ी, घृत, नमक, हल्दी, गुड़, तिल का दान करने से महाफल प्राप्त होता है। हिंदुओं को सर्वाधिक प्रिय माघ महीना है। मान्यता है कि माघ मास के दौरान मनुष्य को कम से कम एक बार पवित्र नदी में स्नान करना चाहिए। भले पूरे माह स्नान के योग न बन सकें लेकिन एक दिन के स्नान से श्रद्धालु स्वर्ग लोक का उत्तराधिकारी बन सकता है।
इतना ही पूरे माघ मास के पुण्यों की प्राप्ति सिर्फ तीन दिन में भी संभव है। माघ मास में त्रयोदशी से पूनम तक के तीन दिन बहुत महत्वपूर्ण हैं। वर्ष 2021 में ये तीन दिन हैं त्रयोदश (25 फरवरी-गुरुवार) चौदस (26 फरवरी-शुक्रवार) पूर्णिमा (27 फरवरी-शनिवार)। कहा जाता है कि माघ मास में अगर सभी दिन कोई स्नान न कर पाए तो त्रयोदशी, चौदस और पूनम ये तीन दिन सुबह सूर्योदय से पूर्व स्नान कर लेने से पूरे माघ मास के स्नान के पुण्यों की प्राप्ति होती है।
पंडित नीरज शास्त्री के अनुसार पुराणों में लिखा है कि सकाम भावना से माघ महीने का स्नान करने वाले को मनोवांछित फल प्राप्त होता है लेकिन निष्काम भाव अथवा भागवत प्रसन्नता, भागवत प्राप्ति के लिए जो मनुष्य माघ का स्नान करता है, उसे भगवत प्राप्ति में बहुत-बहुत आसानी होती है। ‘पद्म पुराण’ के उत्तर खण्ड में माघ मास के माहात्म्य का वर्णन करते हुए कहा गया है कि व्रत, दान व तपस्या से भी भगवान श्रीहरि उतने प्रसन्न नहीं होते, जितने माघ मास में ब्रह्ममुहूर्त में उठकर स्नानमात्र से हो जाते हैं।
इसके अलावा इन तीन दिनों में विष्णु सहस्रनाम पाठ और गीता का पाठ भी अत्यंत प्रभावशाली और पुण्यदायी फल देता है। माघ मास का इतना प्रभाव है की सभी जल गंगा जल के तीर्थ पर्व के समान हैं। पुष्कर, कुरुक्षेत्र, काशी, प्रयाग में 10 वर्ष पवित्र शौच, संतोष आदि नियम पालने से जो फल मिलता है, उतना अकेला माघ मास में में इन 3 दिनों में स्नान करने से मिल जाता है।