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मध्यप्रदेश का एक ऐसा मंदिर जहां साल में एक बार आधी रात को खुलते कपाट, जाने इसके पीछे की रोचक कहानी

  • साल में एक बार खुलते है मंदिर के कपाट
  • नागपंचमी के दिन यहां लाखों भक्त आते है


मध्‍य प्रदेश का एक ऐसा मंदिर जिसका कपाट सिर्फ नाग पंचमी के पर्व पर ही खुलता है जी हां उज्‍जैन के नागचंद्रेश्‍वर मंदिर के पट नाग पंचमी पर्व पर ही खुलते हैं। श्री महाकाल मंदिर के गर्भगृह के ऊपर ओंकरेश्वर मंदिर और उसके भी शीर्ष पर श्री नागचन्द्रेश्वर का मंदिर प्रतिष्ठापित है। नागचन्द्रेश्वर मंदिर की खासियत यह है कि इसके पट साल मे एक बार 24 घंटे सिर्फ नागपंचमी के दिन खुलते है।
हिंदू धर्म में नाग की पूजा करने की परंपरा सदियों से रही है। धार्मिक लोग सांपों को भगवान का आभूषण मानते हैं। हमारे देश में नागों के कई मशहूर मंदिर भी हैं लेकिन यहां कि मान्यताओं यह कि नागराज तक्षक स्वयं इस मंदिर में मौजूद हैं। इस वजह से केवल नागपंचमी के दिन मंदिर को खोलकर नाग देवता की पूजा-अर्चना की जाती है। इसके साथ ही कई मायनों में नागचंद्रेश्वर मंदिर हिंदू धर्म के लोगों के लिए खास है।
नागचंद्रेश्वर मंदिर में 11वीं शताब्दी की प्रतिमा मौजूद है,इस प्राचीन मंदिर का निर्माण राजा भोज ने 1050 ईस्वी के आसपास कराया था। दावा ये किया जाता है कि ऐसी प्रतिमा दुनिया में और कहीं नहीं है। और इस प्रतिमा को नेपाल से लाया गया था। नागराज और उनपे विराजे भगवान शंकर का एक बार दर्शन करने के लिए भक्तों की भारी भीड़ नागचंद्रेश्वर मंदिर में उमड़ती है। नागपंचमी के दिन यहां लाखों भक्त आते हैं ।
आपने कितनी ही तस्वीरों और मूर्तियों को देखा जहां भगवान विष्णु नागचंद्रेश्वर मंदिर में भगवान विष्णु नाग के शय्या पर विराजमान हैं लेकिन इस जगह शंकर भगवान सांप के शय्या पर विराजमान हैं। मंदिर में जो प्राचीन मूर्ति स्थापित है उस पर शिव जी, गणेश जी और मां पार्वती के साथ दशमुखी सर्प शय्या पर विराजित हैं।

पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक भगवान भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए सर्पराज तक्षक ने घोर तपस्या की थी। सर्पराज की तपस्या से भगवान शंकर खुश हुए और फिर उन्होंने सर्पों के राजा तक्षक नाग को वरदान के रूप में अमरत्व दिया। उसके बाद से ही तक्षक राजा ने प्रभु के सान्निध्य में ही वास करना शुरू कर दिया। लेकिन महाकाल वन में वास करने से पूर्व उनकी यही मंशा थी कि उनके एकांत में विघ्न ना हो इस वजह से सिर्फ नागपंचमी के दिन ही उनके मंदिर को खोला जाता है।

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