4 दिसंबर यानि कि कल गीता जयंती है। यह एकमात्र ऐसा ग्रंथ है, जिसकी जयंती मनाई जाती हैं । द्वापर युग में महाभारत युद्ध से ठीक पहले भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था, उस दिन अगहन यानी मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी थी। इसी वजह से ये तिथि गीता जयंती के रूप में मनाई जाती है। गीता में कुल 18 अध्याय हैं, इनमें करीब 700 श्लोक हैं। श्रीकृष्ण ने अर्जुन को जो ज्ञान दिया, वह हमारे लिए हर परिस्थिति में काम आती हैं। अगर गीता में बताई गई बातों को अपने जीवन में, स्वभाव में उतार लें तो सुख-शांति मिल सकती हैं।

गीता जयंती को मोक्षदा एकादशी भी कहा जाता हैं । इस पर्व पर पूरे दिन सर्वार्थ सिद्धि योग रहेगा। एकादशी तिथि भी पूरे दिन रहेगी। जिससे व्रत और पूजा से मिलने वाला शुभ फल और बढ़ जाएगा। मान्यता के अनुसार द्वापर युग में भगवान श्री कृष्ण ने इसी दिन अर्जुन को कुरुक्षेत्र में गीता ज्ञान दिया था। इस एकादशी पर व्रत रखकर भगवान विष्णु की पूजा और भागवत गीता के 11वें अध्याय का पाठ करना चाहिए।
ऐसे करें गीताजी का पूजन
गीता जयंती के दिन सुबह ब्रह्ममुहूर्त में उठकर स्नान आदि से निवृत्त हो जाएं। इसके बाद भगवान विष्णु के श्रीकृष्ण स्वरूप को प्रणाम करें। फिर गंगाजल का छिड़काव करके पूजा के स्थान को साफ करें। इसके बाद वहां चौक बनाकर और चौकी पर साफ कपड़ा बिछाकर भगवान श्रीकृष्ण की प्रतिमा और श्रीमद्भागवत गीता रखें। इसके बाद भगवान कृष्ण और श्रीमद् भागवत गीता को जल, अक्षत, पीले पुष्प, धूप-दीप नैवेद्य आदि अर्पित करें। इसके बाद गीता का पाठ जरूर करें। श्रीमद्भागवत गीता में ही इस बात का जिक्र है कि इस परम ज्ञान को दूसरो तक पहुंचाना चाहिए। ऐसा करने से पुण्य मिलता है। वहीं, कुछ ग्रंथों में भी कहा गया है कि ग्रंथ का दान महादानों में एक है। भगवान के मुख से निकले परम ज्ञान का दान करने से जाने-अनजाने में हुए हर तरह के पाप खत्म हो जाते हैं।