आगामी लोकसभा चुनाव के लिए विपक्षी एकता की कवायद बनने से पहले ही बिगड़ने लगी है। फिर भी इस कवायद को अंजाम तक पहुंचाने के लिए बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार विपक्ष के हर दरवाजे पर दस्तक देने में जुटे हुए हैं। इसी सिलसिले में नीतीश कुमार ने आज कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे से मुलाकात की। इस मुलाकात के दौरान कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी भी मौजूद थे। इस मुलाकात में आगामी लोकसभा चुनाव में विपक्षी एकता को लेकर बात हुई।
दरअसल विपक्षी एकता के रास्ते में कई रोड़े हैं। इसे पार कर पाना आसान नहीं है। विपक्षी एकता में कई दल एक दूसरे के प्रमुख प्रतिद्वंदी राजनीतिक दल है। मसलन तेलंगाना में बीआरएस की टक्कर कांग्रेस से होती है। उत्तर प्रदेश में सपा, बसपा कांग्रेस को तवज्जो नहीं देती है। उड़ीसा में बीजद के सामने कांग्रेस ही प्रमुख प्रतिद्वंद्वी के रूप में खड़ी रहती है। पंजाब में आम आदमी पार्टी के सामने कांग्रेस प्रमुख प्रतिद्वंदी दल है। इसी तरह कई ऐसे राज्य हैं, जहां कांग्रेस और भाजपा ही आमने सामने हैं। ऐसे राज्यों में कांग्रेस किसी अन्य दल को सीट देने के लिए कतई राजी नहीं है। इसमें मध्यप्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, असम जैसे प्रमुख है। कांग्रेस कभी नहीं चाहेंगी कि इन राज्यों में वह अपने सहयोगियों के लिए सीट छोड़े। ऐसे में नीतीश कुमार के लिए विपक्ष के सभी दलों को एक मंच पर लाना काफी मुश्किल वाला काम है। जिसके पूरा होने की संभावना बहुत ही कम है। इसके बावजूद नीतीश कुमार लगातार प्रयासरत हैं।
कांग्रेस ने विपक्ष में ताकतवर होने का दिखाया दंभ
कर्नाटक विधानसभा चुनाव जीतने के बाद कांग्रेस का आत्मविश्वास बढ़ा है। शपथ ग्रहण समारोह में कांग्रेस ने इसका दंभ भी दिखाया। इस समारोह के लिए कांग्रेस ने उन पार्टियों को न्यौता तक नहीं दिया, जिससे उनका छत्तीस का आंकड़ा बना हुआ है। भले ही यह पार्टियां विपक्ष में ही क्यूं न हो। कांग्रेस ने इस समारोह के लिए आम आदमी पार्टी, बीआरएस को न्यौता तक नहीं दिया। जबकि इस समारोह में नीतीश कुमार मौजूद थे। इससे नीतीश कुमार को यह अहसास हो गया होगा कि सभी विपक्षी दलों को एक मंच पर लाना आसमां में छेद करने के समान है। इसके बावजूद नीतीश कुमार अपना प्रयास जारी रखे हुए हैं।
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