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पाकिस्तान की नापाक साजिश जारी, ड्रोन के जरिए भेज रहा हथियार और ड्रग्स

  • ड्रोन सिस्टम के माध्यम से ड्रोन को भारतीय क्षेत्र में गिराए जाने की संख्या में वृद्धि हुई है।
  • चार वर्ष से पाकिस्तान ड्रोन जरिये हेरोइन और हथियारों की तस्करी करवाने के प्रयास रहा है।
  • पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई तस्करों की मदद से यह प्रयास कर रही है।
    अमृतसर ।
    पाकिस्तान के नापाक मंसूबे लगातार बढ़ते जा रहे हैं। ड्रोन के जरिये हथियार और ड्रग्स पहुंचाने की साजिश जारी है। हालांकि, सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) ने ड्रोन के जरिये तस्करी को लगभग नाकाम कर दिया है। पंजाब सीमा पर लगाए एंटी ड्रोन सिस्टम के माध्यम से ड्रोन को भारतीय क्षेत्र में गिराए जाने की संख्या में वृद्धि हुई है। पिछले एक सप्ताह में अमृतसर और तरनतारन के सीमांत गांवों में करीब एक दर्जन ड्रोन को बीएसएफ ने मार गिराया। जनवरी से लेकर अब तक बीएसएफ ने पंजाब की 553 किमी लंबी सीमा पर 57 ड्रोन को गिराया है। चार वर्ष से पाकिस्तान ड्रोन जरिये हेरोइन और हथियारों की तस्करी करवाने के प्रयास रहा है। पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई तस्करों की मदद से यह प्रयास कर रही है। पाकिस्तान की धरती से ड्रोन को रिमोट कंट्रोल से हेरोइन और हथियारों की खेप समेत उड़ा कर भारतीय क्षेत्र में भेजा जाता है। हथियार और हेरोइन की खेप को सीमांत गांवों में गिरा ये लौट जाते हैं, लेकिन अब भारत के एंटी ड्रोन सिस्टम से पाकिस्तान के तस्कर अपने मंसूबों में असफल होते नजर आ रहे हैं। खासा हेडक्वार्टर के डीआईजी संजय गौड़ का कहना है कि बीएसएफ पूरी तरह से अलर्ट पर है। आगे भी तस्करों के मंसूबे ऐसे ही नाकाम किए जाते रहेंगे।
    पूरी तरह स्वदेशी तकनीक
    एंटी ड्रोन सिस्टम एक टेक्नोलॉजी है, जिसका इस्तेमाल मानवरहित हवाई उपकरणों को जाम करने के लिए किया जाता है। यह टेक्नोलॉजी रेडियो फ्रीक्वेंसी जरिये दुश्मन ड्रोन की पहचान करती है। हवा में संदिग्ध बात नजर आती है, तो ड्रोन जरिये इसकी जानकारी मिल जाती है। इसकी मदद से जवान दुश्मन के ड्रोन को आसानी निशाना बना लेते हैं। भारत के पास ड्रोन डिटेक्ट, डिटर एंड डिस्ट्रॉय सिस्टम यानी डी 4 ड्रोन पूरी तरह से स्वदेशी है, जिसे रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने तैयार किया। डी 4 ड्रोन हवा में तीन किमी के दायरे में 360 डिग्री कवर करते हुए दुश्मन ड्रोन का पता लगाता है। यह दो तरह से काम करता है। हार्ड किल और सॉफ्ट किल। हार्ड किल कमांड से दुश्मन ड्रोन को नष्ट कर देता है, जबकि सॉफ्ट किल के तहत दुश्मन के ड्रोन को नीचे ला सकता है या फिर लेजर बीम के जरिये उसके जीपीएस और इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को खराब कर देता है।
    ड्रोन से तस्करी रोकने के गुर सीख रहे बीएसएफ जवान
    अंतरराष्ट्रीय सीमा पर दुश्मनों के मंसूबों को विफल करने के लिए सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) में भर्ती होने वाले नए जवानों को ड्रोन तकनीक की ट्रेनिंग दी जा रही है। इन जवानों को खासकर पंजाब एवं जम्मू-कश्मीर के उन क्षेत्रों में तैनात किया जाएगा, जहां ड्रोन के जरिये मादक पदार्थों एवं हथियारों की तस्करी ज्यादा होती है। तस्करी के प्रयास को विफल करने के लिए बीएसएफ के इंदौर स्थित सहायक प्रशिक्षण केंद्र में यह ट्रेनिंग दी जा रही है। सहायक प्रशिक्षण केंद्र (एसटीसी) के महानिरीक्षक केके गुलिया ने बताया कि पाकिस्तान की ओर से भारतीय क्षेत्र में मादक पदार्थों और हथियारों की तस्करी के लिए ड्रोन के इस्तेमाल करने के मामले अक्सर सामने आ रहे हैं।

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