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‘मणिपुर हिंसा में मेरा घर जला दिया, जो कुछ कमाया सब खो गया’, भारतीय फुटबॉलर का दर्द

  • राज्य में करीब तीन महीने से चल रही जातीय हिंसा में उनका घर जला दिया गया।
  • मैच के बाद जब वह ड्रेसिंग रूम में दाखिल हुए, तो उन्हें हिंसा के बारे में पता चला।
    मणिपुर,
    मणिपुर के रहने वाले भारतीय फुटबॉलर चिंगलेनसाना सिंह ने दावा किया कि राज्य में करीब तीन महीने से चल रही जातीय हिंसा में उनका घर जला दिया गया। उन्होंने जो कुछ अब तक कमाया था, सब कुछ खो गया है। चिंगलेनसाना ने बताया कि जिस दिन हिंसा भड़की, वे उस दिन केरल के कोझिकोड में मोहन बागान के खिलाफ एएफसी कप प्ले-ऑफ (एशियाई महाद्वीपीय टूर्नामेंट) मैच में हैदराबाद एफसी के लिए खेल रहे थे। मैच के बाद जब वह ड्रेसिंग रूम में दाखिल हुए, तो उन्हें हिंसा के बारे में पता चला। उन्होंने बताया कि मेरा फोन टेक्स्ट मैसेज और मिस्ड कॉल से भर गया था।
    चुराचांदपुर के खमुजामा लीकाई के रहने वाले हैं चिंगलेनसाना
    चुराचांदपुर जिले के खुमुजामा लीकाई के रहने वाले चिंगलेनसाना ने बताया कि राज्य में जारी हिंसा ने हमसे सब कुछ छीन लिया है, जो कुछ हमने कमाया था, जो कुछ हमारे पास था। उन्होंने कहा कि मैंने हमारे घर को जलाए जाने की खबर सुनी और फिर चुराचांदपुर में मेरे द्वारा बनाया गया फुटबॉल मैदान भी जला दिया गया। यह सुनना मेरे लिए काफी कठिन था। 27 साल के फुटबॉल खिलाड़ी ने कहा कि अपने माता-पिता से संपर्क स्थापित करने के बाद मणिपुर आ गया। उन्होंने कहा कि यहां के युवाओं को फुटबॉल के लिए मंच प्रदान करने का मेरा बड़ा सपना था लेकिन इसे छीन लिया गया। उन्होंने ये भी कहा कि ये सौभाग्य ही है कि मेरा परिवार हिंसा से बच गया। चिंगलेनसाना के मुताबिक, फिलहाल उनका परिवार एक राहत शिविर में शिफ्ट हो गया है। बता दें कि मैतेई को अनुसूचित जनजाति (एसटी) सूची में शामिल करने की मांग के विरोध के लिए ऑल ट्राइबल्स स्टूडेंट्स यूनियन (एटीएसयू) ने 3 मई को एक रैली आयोजित की थी। रैली के दौरान जातीय झड़पें हुईं जिसके बाद हिंसा भड़क गई। राज्य में हिंसा में अब तक करीब 140 लोगों की मौत हो चुकी है। राज्य में हुई हिंसा पर केंद्र-राज्य सरकार और विपक्ष के बीच राजनीतिक टकराव जारी है। हिंसा को लेकर संसद के मानसून सत्र में गतिरोध भी बना हुआ है। 20 जुलाई को शुरू होने के बाद से विपक्षी दलों की मांग है कि पीएम मोदी सदन में आकर इस मुद्दे पर संबोधित करें और सदन में मणिपुर को लेकर चर्चा की जाए। केंद्र सरकार की ओर से कहा गया है कि सुरक्षा व्यवस्था की जिम्मेदारी गृह मंत्रालय की है, इसलिए अमित शाह सदन को संबोधित करेंगी लेकिन विपक्ष पीएम मोदी के संबोधन पर अड़ा हुआ है।

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