75
- परमवीर चक्र विजेता कैप्टन विक्रम बत्रा 7 जुलाई 1999 को कारगिल युद्ध में देश के लिए शहीद हो गए थे।
आज महेंद्र सिंह धोनी के बर्थडे की चर्चा है। इस बीच करगिल जंग के हीरो विक्रम बत्रा को याद करनेवालों की भी कमी नहीं है। परमवीर चक्र विजेता कैप्टन विक्रम बत्रा 7 जुलाई 1999 को कारगिल युद्ध में देश के लिए शहीद हो गए थे। 23 साल पहले आज ही के दिन कैप्टन विक्रम बत्रा ने देश के लिए अपना सर्वोच्च बलिदान दिया था। उनकी बहादुरी की वजह से उनका नाम ‘शेरशाह’ रख दिया गया था। इतना ही नहीं उनकी शहादत के बाद प्वाइंट 4875 चोटी को बत्रा टॉप का नाम दिया गया है। विक्रम बतरा के ऊपर शेरशाह नाम की मूवी भी बन चुकी है । 20 जून 1999 को कैप्टन बत्रा ने कारगिल की प्वाइंट 5140 चोटी से दुश्मनो से लड़ने का अभियान छेड़ा मिशन में कामयाब हो गए। इसके बाद उन्होंने जीत का कोड बोला- ये दिल मांगे मोर। अदम्य वीरता और पराक्रम के लिए कमाडिंग ऑफिसर लेफ्टिनेंट कर्नल वाय.के. जोशी ने विक्रम को शेरशाह उपनाम से नवाजा था। इतना ही नहीं कारगिल युद्ध के दौरान पाकिस्तानी सैनिक चोटी के टॉप पर थे और मशीन गन से ऊपर चढ़ रहे भारतीय सैनिकों पर गोलियां बरसा रहे थे। लेकिन बत्रा ने हार नहीं मानी और एक के बाद एक पाकिस्तानी को ढेर करते हुए इस चोटी पर कब्जा कर लिया। 4875 प्वांइट पर कब्जे के दौरान भी बत्रा ने बेहद बहादुरी दिखाई और इस परमवीर ने सैनिक को पीछे करके खुद आगे आकर बत्रा ने दुश्मनों की गोलियां खाईं। उनके आखिरी शब्द थे ‘जय माता दी’।आज उनकी पुण्यतिथि है वही कारगिल युद्ध में अदम्य साहस और पराक्रम का परिचय देते हुए अपने प्राणों की आहुति देने वाले, परमवीर चक्र से सम्मानित माँ भारती के वीर सपूत कैप्टन विक्रम बत्रा की पुण्यतिथि पर उन्हें शत शत नमन।’