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- मंदिर नियंत्रण रेखा के करीब किशनगंगा नदी के तट पर बनाया गया है.
- नदी पूर्ववर्ती जम्मू और कश्मीर राज्य को विभाजित करती है, जिसके एक हिस्से पर पाकिस्तान का अवैध कब्जा है.
कुपवाड़ा: केंद्र सरकार पंजाब में करतारपुर गलियारे की तर्ज पर शारदा पीठ तीर्थ यात्रा के लिए पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में एक गलियारा खोलने का प्रयास करेगी. इसके लिए पाकिस्तान के साथ बातचीत शुरू करनी पड़ेगी और जम्मू-कश्मीर के कुपवाड़ा जिले के तीतवाल में नियंत्रण रेखा को फिर से खोलने की आवश्यकता होगी, जिसे अगस्त 2019 में जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटाए जाने के बाद अनिश्चित काल के लिए बंद कर दिया गया था. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह नेकुपवाड़ा जिले के तीतवाल में शारदा देवी मंदिर का वर्चुअली उद्घाटन करने के बाद यह घोषणा की कि पाक अधिकृत कश्मीर में शारदा पीठ मंदिर के लिए करतारपुर साहिब शैली का गलियारा बनाने का प्रयास किया जाएगा. उन्होंने करनाह में शारदा देवी मंदिर के पुनर्निर्माण को शारदा सभ्यता और कश्मीर की मूल लिपि शारदा लिपि की खोज में एक महत्वपूर्ण कदम बताया. यह मंदिर नियंत्रण रेखा के करीब किशनगंगा नदी के तट पर बनाया गया है. यह नदी पूर्ववर्ती जम्मू और कश्मीर राज्य को विभाजित करती है, जिसके एक हिस्से पर पाकिस्तान का अवैध कब्जा है. यह मंदिर वास्तविक नियंत्रण रेखा के करीब किशनगंगा नदी के तट पर बनाया गया है. यह नदी पूर्ववर्ती जम्मू और कश्मीर राज्य को विभाजित करती है, जिसके एक हिस्से पर पाकिस्तान का अवैध कब्जा है. अमित शाह ने मंदिर के उद्घाटन के बाद अपने संबोधन में कहा, ‘रविंदर पंडिता ने कहा है कि शारदा पीठ को करतारपुर कॉरिडोर की तर्ज पर तीर्थयात्रियों के लिए खोला जाना चाहिए.भारत सरकार निश्चित रूप से इस दिशा में प्रयास करेगी. इसमें कोई दो राय नहीं है.’ आपको बता दें कि जम्मू-कश्मीर से धारा 370 की समाप्ति के बाद से ही सीमा पार व्यापार और श्रीनगर-मुजफ्फराबाद बस सेवाओं को 2019 से अनिश्चित काल के लिए बंद कर दिया गया है. अगस्त 2019 में जम्मू और कश्मीर के केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद पीओके में तीर्थयात्रा के लिए एक गलियारा खोलना दोनों पक्षों के बीच संपर्क बहाल करने की दिशा में पहला बड़ा कदम होगा. प्राचीन शारदा मंदिर और शारदा पीठ, नियंत्रण रेखा के पार पीओके में नीलम घाटी में स्थित है.