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- टीवी-डी1 मिशन 2024-25 के आसपास निर्धारित इसरो के पहले मानव अंतरिक्ष उड़ान गगनयान मिशन की तैयारियों का हिस्सा था.
नई दिल्लीः भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) एक क्रू मॉड्यूल अपराइटिंग सिस्टम के साथ प्रयोग करेगा, जो यह तय करेगा कि अंतरिक्ष मिशन के बाद समुद्र में क्रू मॉड्यूल सीधा खड़ा रहे और पानी में उलटा न हो. इस साल 21 अक्टूबर को टीवी-डी1 मिशन में इस्तेमाल किए गए एक बुनियादी क्रू मॉड्यूल में ऐसी कोई प्रणाली नहीं थी, जिसके परिणामस्वरूप बंगाल की खाड़ी में नौसेना के गोताखोरों द्वारा बरामद किए जाने पर मॉड्यूल उल्टी स्थिति में तैर रहा था. टीवी-डी1 मिशन 2024-25 के आसपास निर्धारित इसरो के पहले मानव अंतरिक्ष उड़ान गगनयान मिशन की तैयारियों का हिस्सा था. डी1 मिशन निदेशक एस शिवकुमार ने कहा कि टीवी-डी1 मिशन के तहत क्रू मॉड्यूल और क्रू एस्केप का पहला टेस्ट किया गया, जिसे पूरी तरह से सफल माना गया है. क्योंकि मिशन में परीक्षण किए गए सिस्टम से सभी डेटा प्राप्त कर लिया गया. साथ ही उन्होंने यह भी कहा, ‘मिशन के सभी तीन एलिमेंट्स नए हैं. परीक्षण वाहन नया है, क्रू एस्केप सिस्टम नया है और क्रू मॉड्यूल नया है. प्रत्येक सिस्टम को विकसित करना चुनौतियों में से एक था. वैज्ञानिक ने कहा, मिशन योजना और मिशन डिजाइन यहां बहुत महत्वपूर्ण है.’ उन्होंने कहा, “हमें तीनों प्रणालियों से डेटा मिल गया है और सब कुछ नाममात्र का है.” उन्होंने कहा, मिशन यह समझने के बारे में था कि क्रू मॉड्यूल को उचित स्थिति और अभिविन्यास में कैसे रखा जाए क्योंकि टीवी-डी1 उड़ान में क्रू मॉड्यूल के पास अंतिम क्रू मॉड्यूल के विपरीत अपनी स्वयं की नियंत्रण प्रणाली नहीं थी, जिसकी अपनी ऑनबोर्ड नियंत्रण प्रणाली होगी. बता दें कि बीते 21 अक्टूबर को इसरो ने अपने गगनयान मिशन की पहली टेस्ट फ्लाइट को 10 बजे लॉन्च किया था. हालांकि तकनीकी कारणों के चलते इसे पहले होल्ड पर रख दिया गया था. इसे टेस्ट व्हीकल अबॉर्ट मिशन-1 कहा गया. साथ ही इसे टेस्ट व्हीकल डेवलपमेंट फ्लाइंट भी कहा गया.