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भारत ने पाकिस्तान को सुनाई खरीखोटी, स्थायी मध्यस्थता न्यायालय का फैसला किया खारिज

  • भारत हमेशा से कहता रहा है कि वह स्थायी मध्यस्थता न्यायालय में पाकिस्तान द्वारा शुरू की गई कार्यवाही में शामिल नहीं होगा।
  • भारत का तर्क है कि सिंधु जल संधि के ढांचे के तहत विवाद की जांच पहले से ही एक तटस्थ विशेषज्ञ द्वारा की जा रही है।
    नई दिल्ली,
    भारत ने पाकिस्तान के साथ सिंधु जल संधि को लेकर चल रहे विवाद में स्थायी मध्यस्थता न्यायालय के फैसले को खारिज कर दिया है। भारत ने गुरुवार को साफ किया कि हेग स्थित न्यायाधिकरण के फैसले के बाद उसे किशनगंगा और रतले पनबिजली परियोजनाओं को लेकर स्थायी मध्यस्थता न्यायालय में चलाई जा रही अवैध कार्यवाही में भाग लेने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता है। संधि को लेकर पाकिस्तान ने उम्मीद जताई है कि भारत सिंधु जल संधि को अच्छे विश्वास से लागू करेगा। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने गुरुवार को एक प्रेस कांफ्रेंस करके पाकिस्तान को दो टूक जवाब दिया। अरिंदम बागची ने कहा कि संधि को दर-किनार करते हुए अवैध और समानांतर कार्यवाही को मान्यता देने या उसमें भाग लेने के लिए भारत को मजबूर नहीं किया जा सकता है।
    भारत का लगातार रहा है ऐसा ही रुख
    गौरतलब है कि यह पहली बार नही है जब भारत ने इस मुद्दे पर ऐसा रुख अख्तियार किया हो। भारत हमेशा से कहता रहा है कि वह स्थायी मध्यस्थता न्यायालय में पाकिस्तान द्वारा शुरू की गई कार्यवाही में शामिल नहीं होगा। इसके पीछे भारत का तर्क है कि सिंधु जल संधि के ढांचे के तहत विवाद की जांच पहले से ही एक तटस्थ विशेषज्ञ द्वारा की जा रही है ऐसे में किसी भी मध्यस्थता न्यायालय में मुद्दे की सुनवाई की जरूरत नहीं है। बता दें कि तटस्थ विशेषज्ञ की आखिरी बैठक 27 और 28 फरवरी को हेग में हुई थी। वहीं, अगली बैठक सितंबर में होने वाली है। स्थायी मध्यस्थता न्यायालय के एक बयान में कहा गया है कि एक सर्वसम्मत निर्णय में कोर्ट ने भारत द्वारा उठाई गई प्रत्येक आपत्ति को खारिज कर दिया है। साथ ही यह तय किया गया है कि कोर्ट पाकिस्तान के मध्यस्थता अनुरोध में विवादों पर विचार करने और उनके निर्धारण में सक्षम है। फैसला सभी पार्टियों के लिए बाध्यकारी है और इसके खिलाफ अपील नहीं की जा सकती। साथ ही बयान में अदालत ने यह भी कहा था कि उसने इस संबंध में विश्व बैंक से भी चर्चा की है। विश्व बैंक दोनों देशों के बीच की इस संधि पर एक हस्ताक्षरकर्ता है।
    भारत ने जारी किया था नोटिस
    भारत का मानना है कि विवाद को सुलझाने के लिए दो समवर्ती प्रक्रियाओं की शुरुआत समझौते में निर्धारित तीन-चरणीय वर्गीकृत तंत्र के प्रावधान का उल्लंघन है। इससे पहले, जनवरी में भारत ने सितंबर 1960 की सिंधु जल संधि में संशोधन को लेकर भारत ने पाकिस्तान को नोटिस जारी किया था। बता दें कि पाकिस्तान के साथ सिंधु जल संधि को अक्षरश: लागू करने में भारत दृढ़ समर्थक, जिम्मेदार भागीदार रहा है। पाक की कार्रवाइयों ने सिंधु संधि के प्रावधानों पर प्रतिकूल प्रभाव डाला है। इस्लामाबाद की हठधर्मिता को देखते हुए उसे ऐसा करना पड़ा था।

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