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भारत ने अमेरिका के आधा दर्जन उत्पादों से अतिरिक्त शुल्क हटाया

  • भारत ने यह कदम अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन के जी-20 शिखर सम्मेलन के लिए भारत आने से पहले उठाया है।
    नई दिल्ली:
    भारत ने अमेरिका के लगभग आधा दर्जन उत्पादों पर 2019 में लगाया गया अतिरिक्त शुल्क हटा दिया है। अमेरिका द्वारा भारत के कुछ इस्पात और एल्युमीनियम उत्पादों पर शुल्क बढ़ाने के फैसले के जवाब में यह कदम उठाया गया था। भारत ने 2019 में अमेरिका के इस कदम के जवाब में उसके 28 उत्पादों पर यह शुल्क लगाया था। वित्त मंत्रालय की 5 सितंबर की अधिसूचना में इन उत्पादों से शुल्क हटाने की जानकारी दी गई है। इन उत्पादों में चना, दाल (मसूर), सेब, छिलके वाला अखरोट और ताजे या सूखे बादाम के साथ ही छिलके वाले बादाम शामिल हैं। इन अमेरिकी उत्पादों पर से अतिरिक्त शुल्क हटाने से देश में ये वस्तुएं अब सस्ते भाव पर उपलब्ध होंगे। भारत ने यह कदम अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन के जी-20 शिखर सम्मेलन के लिए भारत आने से पहले उठाया है। बाइडन शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ द्विपक्षीय वार्ता भी करेंगे। प्रधानमंत्री की जून में आधिकारिक अमेरिका यात्रा पर दोनों देशों ने विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) में छह विवादों को खत्म करने और अमेरिकी उत्पादों पर प्रतिक्रिया स्वरूप लगाए गए शुल्क को हटाने का फैसला लिया था। समझौते के तौर पर, भारत चने पर 10 प्रतिशत, मसूर की दाल पर 20 प्रतिशत, ताजे और सूखे बादाम पर सात रुपए प्रति किलोग्राम, छिलके वाले बादाम पर 20 रुपए प्रति किलोग्राम, अखरोट पर 20 प्रतिशत और ताजा सेब पर 20 प्रतिशत शुल्क हटाएगा। वाणिज्य एवं उद्योग राज्यमंत्री अनुप्रिया पटेल ने जुलाई में राज्यसभा में लिखित जवाब में कहा था कि सरकार ने सूखे, ताजे, छिलके वाले बादाम, अखरोट, चना, मसूर, सेब, बोरिक एसिड और ‘मेडिकल डायग्नोस्टिक रीजेंट्स’ पर लगाए गए जवाबी शुल्क को हटाने का फैसला किया है। उन्होंने कहा था कि अमेरिका के खिलाफ लगाए गए जवाबी शुल्क को खत्म करने या आयात शुल्क में कटौती से भारत को कोई नुकसान नहीं होगा। अमेरिका, भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है।
    अमेरिका भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार
    अमेरिका भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है। 2022-23 में द्विपक्षीय वस्तुओं का व्यापार बढ़कर 128.8 अरब डॉलर हो गया, जबकि 2021-22 में यह 119.5 अरब डॉलर था। यह भारत के लिए फायदे का सौदा है, क्योंकि इसके बदले अमेरिकी बाजार में घरेलू इस्पात और एल्यूमिनियम उत्पादों को बाजार पहुंच मिलेगी।

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