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- पाकिस्तान से आये दो हिंदू परिवार चर्चा का विषय बने हुए हैं.
- दो परिवारों के 15 लोगों ने यहां के संग्रामपुर गांव में शरण ले रखी है.
नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश के चित्रकूट में इन दिनों पाकिस्तान से आये दो हिंदू परिवार चर्चा का विषय बने हुए हैं. दो परिवारों के 15 लोगों ने यहां के संग्रामपुर गांव में शरण ले रखी है. ये सभी एक स्वयंसेवी संस्था के आश्रय में हैं. पाकिस्तान से आये इन लोगों के बारे में पुलिस को जैसे ही जानकारी मिली, प्रशासन चौकस हो गया. एसपी वृंदा शुक्ला के निर्देश पर पुलिस बल और एलआईयू के उप अधीक्षक अनुज मिश्र गांव पहुंचे. सभी ने पाकिस्तानियों से घंटों तक पूछताछ की. पाकिस्तान से आये ये सभी हिंदू संग्रामपुर निवासी कमलेश कुमार पटेल साथ यहां पहुंचे हैं. कमलेश एक स्वयंसेवी संस्था चलाते हैं. उन्होंने फौरी तौर पर पाकिस्तान से आये हिंदुओं को रहने की जगह दी. गांव में इन्हें देखने वालों का हुजूम उमड़ पड़ा है. देखते ही देखते पूरा मामला सोशल मीडिया पर भी वायरल होने लगा. पुलिस ने इन पाकिस्तानियों को यहां लाने वाले कमलेश से भी पूछताछ की है. पाकिस्तान से आए हिंदुओं ने बताया कि वे सभी कराची के खैरपुर के रहने वाले हैं. इनमें एक राकेश कुमार का परिवार है तो दूसरा संतोष कुमार का परिवार. पूछताछ में इन्होंने ये भी बताया कि वे सभी दो महीना पहले ही पाकिस्तान से भारत आए थे. यहां आने के बाद दिल्ली में भाटी माइंस में अपने रिलेटिव के यहां रहे. वीजा की अवधि खत्म होने के बाद रिन्यूअल के लिए आवेदन भी कर रखा है. जिले के अपर एसपी चक्रपाणी त्रिपाठी के मुताबिक पाकिस्तान से आये हिंदू परिवार के कागजात की जांच-पड़ताल की जा रही है. सभी से विस्तार से पूछताछ की जा रही है. पुलिस सुरक्षा को लेकर सभी के पुराने रिकॉर्ड्स के बारे में पता लगा रही है. फिलहाल पुलिस का कहना है इन पाकिस्तानी परिवारों को बाहरी किसी से भी मिलने नहीं दिया जाएगा. पुलिस इस तरह पाकिस्तान से आकर भारत में बसने वालों को गंभीर मामला मानती है. पाकिस्तान से आये इन हिंदुओं ने अपने ऊपर अत्याचार की भी बात कही है. उनके मुताबिक पाकिस्तान में आये दिन हिंदुओं के साथ बर्बरता की जाती है. उनके साथ भेदभाव किये जाते हैं. उनके धार्मिक स्थलों को तोड़-फोड़ दिया जाता है. इसके अलावा इन पाकिस्तानी हिंदुओं ने ये भी कहा कि उनका मुल्क फिलहाल बुरे दौर से गुजर रहा है. महंगाई इतनी ज्यादा है कि लोगों का घर चलाना मुश्किल हो रहा है. लोगों की बुनियादी जरूरतें भी पूरी करने में जद्दोजहद करनी पड़ती है.