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गंगा में आया उफान, कासगंज जिले के 50 गांव घिरे, बाढ़ से मैनपुरी-बदायूं हाईवे पर पहुंचा पानी

  • पहाड़ों पर हुई जबरदस्त बारिश से मैदानी इलाकों में आया खतरा अभी पूरी तरह टला नहीं है।
  • तीन दिन से बढ़ रहा जल स्तर घटना शुरू हो गया लेकिन निचले क्षेत्रों में संकट बरकरार है।
  • गंगा में आए उफान से कासगंज जिले के 50 गांव पानी से घिर गए हैं।
    आगरा:
    पहाड़ों पर हुई जबरदस्त बारिश से मैदानी इलाकों में आया खतरा अभी पूरी तरह टला नहीं है। मथुरा, आगरा में यमुना ठिठक गई है। तीन दिन से बढ़ रहा जल स्तर घटना शुरू हो गया, लेकिन निचले क्षेत्रों में संकट बरकरार है। वहीं गंगा में आए उफान से कासगंज जिले के 50 गांव पानी से घिर गए हैं। सैकड़ों बीघा खेती को जलमग्न करते मैनपुरी-बदायूं हाईवे पर भी पानी पहुंच गया है। ग्रामीण सुरक्षित स्थानों की ओर पलायन कर रहे हैं। शनिवार रात से मथुरा में यमुना ने तेवर दिखाना शुरू किया था। रविवार सुबह वृंदावन परिक्रमा मार्ग से लेकर मथुरा के विश्राम घाट बाजार तक पानी भर गया। इसके अलावा 29 गांव और 150 कालोनियों में पानी भर गया था।
    खतरे के निशान से अधिक
    सोमवार से पानी बढ़ना रुक गया। मंगलवार से लगातार कमी आ रही है। बुधवार शाम छह बजे जलस्तर घटकर 166.52 मीटर रह गया। हालांकि ये खतरे के निशान से अब भी 52 सेमी अधिक है। खादर में बसी कालोनियों में आने वाले तीन से चार दिन बाद ही राहत मिलने की संभावना है। परिक्रमा मार्ग पर कुछ जगहों से पानी निकल गया है। वहीं बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में संक्रामक बीमारियों का खतरा बढ़ गया है। इधर, आगरा में मंगलवार बढ़े यमुना के जल स्तर ने 80 गांवों की 800 बीघा से ज्यादा फसल को चपेट में ले लिया था। इसके बाद शहर के निचले इलाकों में कई फीट पानी भर गया। कैलाश क्षेत्र में तो नाव चलाना पड़ी।
    एनडीआरएफ की टीम ने 21 को निकाला
    वहीं एनडीआरएफ की टीम ने तनौरा नूरपुर में बाढ़ में फंसे 21 लोगों को निकाला था। यमुना जलस्तर में बुधवार सुबह से कमी आना शुरू हो गई। जलस्तर 152.18 मीटर से घटकर 151.91 मीटर पर पहुंच गया। जलस्तर में भले ही कमी आ रही हो लेकिन तहसील सदर, एत्मादपुर और बाह के जिन गांवों में पानी भर गया था। वहां समस्याएं बरकरार हैं। उधर, चंबल नदी के जलस्तर में मामूली बढ़ोतरी हो रही है। जलस्तर 115.30 मीटर तक पहुंच गया है। खतरे का निशान 127 मीटर है। वहीं फिरोजाबाद में बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में स्थिति खराब हो गई। गांव भैंसावाट, ग्वारई और भीकनपुर बझेरा में पानी घरों में घुसने लगा है। लोग पलायन कर रहे हैं।
    गांवों में पेयजल का संकट
    बाढ़ प्रभावित गांवों की तीन दिन से बिजली कटी होने से वहां पेयजल का भी संकट खड़ा हो गया है। गुरुवार से पानी कम होने की उम्मीद है। उधर, कासगंज में गंगा की लहरें डराने लगी हैं। बुधवार सुबह हरिद्वार बैराज, बिजनौर और नरौरा से भारी जलराशि छोड़ जाने के कारण कछला में बुधवार को जलस्तर पांच सेंटीमीटर बढ़कर 163.95 मीटर पहुंच गया। इसके साथ ही गंगा बाढ़ के उच्चतम निशान को पार कर गई है। कासगंज, पटियाली और सहावर तीनों तहसीलों के करीब 50 गांवों की आबादी तक पानी पहुंच गया। वहीं 100 गांवों में फसल जलमग्न हो गई। बाढ़ का खतरा मंडराता देख तटवर्ती गावों के ग्रामीणों के होश उड़े हुए हैं। वह सामान समेटकर सुरक्षित स्थान तलाश रहे हैं।
    हाईवे पर भरा पानी
    प्रशासन ने राहत शिविरों की व्यवस्था शुरू कर दी है। गंजडुंडवारा में ओमनगरिया चौराहे के पास गंगा उफान लेते हुए मैनपुरी-बदायूं हाईवे पर भी पहुंच गई। हाईवे पर करीब 200 मीटर के दायरे में आधा-आधा फीट पानी भर गया। बाढ़ नियंत्रण अधिकारी संजय शर्मा ने बताया कि अधिकारी हाईवे पर नजर रखे हैं।

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