दिल्ली विधानसभा के बजट सत्र में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने आज यानी मंगलवार को बजट में भाषण दिया। इसमें उन्होंने गृह मंत्रालय के ऊपर बजट को रोके जाने का आरोप लगाया है। सीएम केजरीवाल ने आरोप लगाते हुए कहा है कि यह संविधान के ऊपर हमला है। आगे उन्होने कहा कि एलजी को बजट रोकने का कोई अधिकारी नहीं है। विधानसभा में अरविंद केजरीवाल ने आरोप लगाया कि आज तक दिल्ली का बजट कभी नहीं रोका गया, पहली बार केंद्र ने परंपरा को तोड़ा है। यह अहंकार को दिखाया गया है। रिपोर्ट के मुताबिक केन्द्र सरकार ने बजट को मंजुरी दे दी है।
सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा “हमें लड़ना नहीं काम करने आता है। सब कुछ ऊपर से आदेश दिए गए हैं, इस देश में संविधान के ऊपर हमला हो रहा है। संविधान के अनुसार बजट पर एलजी को रोकने का कोई अधिकार नहीं है। इन्होंने ऊपर से लेकर नीचे तक अनपढ़ों की जमात बैठा रखी है। पीएम को अपील है कि हम लड़ना नहीं चाहते, क्योंकि हम बहुत छोटे लोग हैं, लड़ाई से घर और राज्य, देश बर्बाद हो जाते हैं।”
केजरीवाल ने की पीएम मोदी से ये अपील
अरविंद केजरीवाल ने कहा, “हाथ जोड़कर प्रधानमंत्री से अपील करते है कि हम छोटे लोग हैं हमें राजनीति करनी नहीं आती है, घर में लड़ाई होती है वह घर बर्बाद हो जाते हैं। जिस राज्य में लड़ाई होती है वह राज्य बर्बाद हो जाते हैं। सब मिलजुल कर काम करेंगे तो तरक्की होगी।”
मुख्यमंत्री केजरीवाल ने कहा था- ऐसा 75 साल में नहीं हुआ
केजरीवाल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिट्ठी लिखी है, जिसमें उन्होंने कहा- प्रधानमंत्री जी दिल्ली के लोगों से आप क्यों नाराज हैं। कृपया बजट मत रोकिए। केजरीवाल ने आगे कहा कि देश के 75 साल के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है, जब दिल्ली में बजट पेश होने से एक दिन पहले केंद्र ने इस पर रोक लगा दी है। ये सीधे तौर पर केंद्र सरकार की गुंडागर्दी है।
वहीं वित्त मंत्री कैलाश गहलोत ने मंगलवार को दिल्ली विधानसभा मे कहा कि बजट की फाइल को अप्रूवल के लिए दोबारा गृह मंत्रालय भेज दिया गया है। उन्होंने बजट रोके जाने पर अफसोस जताया और कहा कि जनता का चुना हुआ मुख्यमंत्री और कैबिनेट होने का क्या फायदा, जब एक बजट तक पास न कर पाएं।
LG ऑफिस ने सरकार पर साधा निशाना
केजरीवाल के बयान पर दिल्ली के लेफ्टिनेंट गवर्नर ऑफिस से जबाव आया कि LG वीके सक्सेना ने बजट पास कर कुछ नोट्स जोड़कर उसे 9 मार्च को दिल्ली सरकार के पास भेज दिया था। दिल्ली सरकार ने फिर इसे राष्ट्रपति से अप्रूव कराने के लिए गृह मंत्रालय को भेजा।