मणिपुर में हो रही हिंसा पर दिल्ली में सियासी लाभ लेने की होड़ राजनीतिक दलों में मची हुई है। इस होड़ में बढ़त लेने की जुगत में कांग्रेस ने मणिपुर हिंसा को लेकर केंद्र सरकार पर हमला तेज कर दिया है। इस हिंसा पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चुप्पी को कांग्रेस ने अपना हथियार बनाया है। कांग्रेस चाहती है कि शांति बहाल की अपील सरकार के शीर्षस्थ स्तर से हो। पर कांग्रेस यह तय नहीं कर पा रही है कि यह अपील राष्ट्रपति करे या प्रधानमंत्री।
कांग्रेस नेताओं की बयानबाजी से यह ऊहापोह की स्थिति साफ नजर आती है। कांग्रेस महासचिव मुकुल वासनिक ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मणिपुर की हिंसा के लिए शांति की अपील करने की बात कही। वहीं मणिपुर कांग्रेस के प्रभारी भक्त चरण दास राष्ट्रपति से मणिपुर हिंसा के लिए शांति की अपील करने की गुहार लगाई। उन्होंने इसके पीछे तर्क यह भी दिया कि आदिवासियों के बीच फैली इस हिंसा के लिए राष्ट्रपति की अपील ज्यादा कारगर होगी। इससे उनमें विश्वास का भाव बढ़ेगा और हिंसा पर रोक लग पाएगी। जबकि विगत कुछ दिनों पहले कांग्रेस ने मुकुल वासनिक के नेतृत्व में मणिपुर हिंसा की जांच के लिए एक टीम भेजी थी। मुकुल वासनिक ने मणिपुर का दौरा कर अपनी रिपोर्ट कांग्रेस आलाकमान मल्लिकार्जुन खड़गे को सौंप दिया है। इस बाबत उन्होंने कहा कि वहां 44 दिनों से हिंसा चल रही है। इसके बावजूद प्रधानमंत्री मोदी ने इस पर अपना मुंह नहीं खोला है। केंद्रीय गृहमंत्री प्रदेश का दौरा कर चुके हैं। इसके बावजूद वहां हिंसा थमने का नाम नहीं ले रहा है। ऐसे में प्रधानमंत्री मोदी को मणिपुर में शांति के लिए अपील करनी चाहिए। लेकिन वह इस पर बोलना तो दूर अपील तक करने से कतरा रहे हैं।
सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल भेजने की मांग
कांग्रेस ने मणिपुर में हिंसा समाप्त करने के लिए सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल भेजने की मांग केंद्र सरकार से की है। कांग्रेस मीडिया प्रभारी जयराम रमेश ने कहा कि मणिपुर में हिंसा रोकने के लिए सभी दलों का एक प्रतिनिधिमंडल वहां भेजा जाए। उन्होंने कहा कि मणिपुर के लोगों में प्रदेश सरकार पर भरोसा ही नहीं रहा है। सरकार पर से भरोसा उठने की वजह से हिंसा थमने का नाम नहीं ले रहा है। हिंसा थमने के लिए जरूरी है लोगों का विश्वास जीतना। सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल इस दिशा में अहम भूमिका निभा सकता है।
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