नई दिल्ली। कैंसर, मधुमेह, ह्रदय रोग और स्ट्रोक जैसी गंभीर बीमारी के प्रति केंद्र सरकार ने सतर्कता दिखाते हुए इन रोगों से संबधित कई गाइडलाइन जारी की हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री डॉ हर्षवर्धन ने NPCDCS (कैंसर से बचाव और नियंत्रण के लिए राष्ट्रीय कार्यक्रम) के साथ NAFLD (गैर-अल्कोहल फैटी लिवर रोग) के रोकथाम व बचाव के लिए गाइडलाइन का शुभारंभ किया है।
इस दौरान उन्होंने कहा कि महामारी विज्ञान के अध्ययन से पता चलता है कि NAFLD की व्यापकता भारत में सामान्य आबादी का लगभग 9 फीसद से 32 फीसद है, जो अधिक वजन वाले या मोटापे के साथ और मधुमेह या पूर्व मधुमेह वाले लोगों में उच्च प्रसार के साथ है। शोधकर्ताओं ने 40 से 80 फीसद लोगों में एनएएफएलडी पाया है, जिन्हें टाइप 2 मधुमेह है और 30 से 90 फीसद लोग मोटापे से ग्रस्त हैं।
स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि अध्ययन यह भी सुझाव देते हैं कि NAFLD वाले लोगों में हृदय रोग विकसित होने की अधिक संभावना है। NAFLD में मृत्यु का सबसे आम कारण हृदय रोग है। एक बार जब रोग विकसित हो जाता है, तो कोई विशिष्ट इलाज उपलब्ध नहीं होता है और स्वास्थ्य में वृद्धि और वजन कम करने एवं स्वस्थ जीवन शैली को लक्षित करने वाले पहलुओं को रोकना और उपरोक्त जोखिम वाले कारकों पर नियंत्रण रोग प्रगति के मुख्य आधार हैं और NALDLD के कारण मृत्यु दर और रुग्णता को रोकते हैं।
स्थिति से जुड़े एनसीडी के कारण होने वाली मौतों पर अंकुश लगाने के लिए सरकार की योजना पर विस्तार करते हुए मंत्री ने कहा कि एनएएफएलडी हृदय संबंधी बीमारियों टाइप 2 मधुमेह और अन्य चयापचय सिंड्रोम जैसे उच्च रक्तचाप, पेट का मोटापा, डिस्प्लिपीमिया, ग्लूकोज असहिष्णुता के भविष्य के जोखिम का एक स्वतंत्र पूर्वसूचक है। भारत सरकार का विचार है कि मौजूदा एनपीसीडीसीएस कार्यक्रम रणनीतियों को एनएएफएलडी को जीवन शैली में बदलाव, प्रारंभिक निदान और संबद्ध गैर-संचारी रोगों के प्रबंधन के साथ-साथ एनएएफएलडी से रोकने के लिए आसानी से जोड़ा जा सकता है।