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‘सुप्रीम कोर्ट की सीईसी की जगह नया पैनल होगा गठित’, पर्यावरण मंत्रालय ने बताई पुनर्गठन करने की वजह

  • भारत की पर्यावरण नीति और शासन परिदृश्य को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
    नई दिल्ली,
    केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने एड हॉक विशेषज्ञ पैनल की जगह एक नई केंद्रीय अधिकार प्राप्त समिति (सीईसी) की स्थापना की है, हालांकि उसका नाम वही रखा है, जो पहले था। बता दें, जिस समित को बदलने का फैसला लिया है, उसने वन और पर्यावरण मुद्दों के मामलों में सर्वोच्च न्यायालय की सहायता की थी। बता दें, साल 2002 में शीर्ष अदालत ने सीईसी को स्थापित किया था। यह पर्यावरण संरक्षण से संबंधित मुद्दों के लिए एक प्रहरी के रूप में काम करता था। वर्षों से, समिति ने भारत की पर्यावरण नीति और शासन परिदृश्य को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। समिति का पुनर्गठन करने का फैसला लिया गया है। बताया जा रहा है कि इसके पीछे का लक्ष्य इसे और अधिक कुशल बनाना है। हालांकि, सरकार के पूर्ण नियंत्रण में इसकी स्वतंत्रता के बारे में सवाल बने हुए हैं।
    नई समिति के यह होंगे सदस्य
    पांच सितंबर को जारी अधिसूचना के अनुसार, केंद्र सरकार नए सीईसी के लिए सदस्यों को नामांकित और नियुक्त करेगी। बताया गया है कि नए सीईसी में सरकार द्वारा चुना गया एक अध्यक्ष, एक सचिव और तीन विशेष सदस्य होंगे। पर्यावरण, वानिकी या वन्यजीव क्षेत्रों में न्यूनतम 25 वर्षों का अनुभव या सरकार में पर्याप्त प्रशासनिक विशेषज्ञता वाला अध्यक्ष अधिकतम तीन वर्षों का कार्यकाल पूरा करेगा। सदस्य सचिव को सरकार में उप महानिरीक्षक या निदेशक से कम रैंक का नहीं होना चाहिए। साथ ही पर्यावरण, वानिकी या वन्यजीव मामलों में कम से कम 12 साल का अनुभव होना चाहिए। तीन विशेषज्ञ सदस्यों, जिनमें से प्रत्येक पर्यावरण, वन और वन्यजीव क्षेत्रों से है, के पास न्यूनतम 20 वर्ष की विशेषज्ञता होनी चाहिए।
    नए पैनल की आलोचना
    यह विकास वन संरक्षण (संशोधन) विधेयक, 2023 के पारित होने के तुरंत बाद आया है, जिसके बारे में आलोचकों का तर्क है कि यह भारतीय वन कानून में मौजूदा सुरक्षा उपायों को कमजोर करता है। आलोचकों ने चिंता व्यक्त की है। उनका कहना है कि यह परिवर्तन सरकार के भीतर अत्यधिक शक्ति को केंद्रित करता है। पहले सीईसी में पर्यावरण मंत्रालय द्वारा नामित सदस्य और न्याय मित्र के परामर्श से चुने गए दो गैर सरकारी संगठन शामिल होते थे, जो अधिक संतुलित दृष्टिकोण पेश करते थे। बता दें, सीईसी का गठन 2002 में वन और वन्यजीव मामलों में अपने आदेशों की निगरानी के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा प्रसिद्ध टीएन गोदावर्मन मामले में किया गया था। अब से सीईसी के गठन पर भारत सरकार का पूर्ण नियंत्रण होगा।

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