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- खगोलशास्त्रियों ने चेतावनी जारी की है कि एक भारी-भरकम उल्का पिंड धरती की ओर बढ़ रहा है
नई दिल्ली. अंतरिक्ष की दुनिया बहुत से के रहस्यों से भरी हुई है. कभी किसी एस्टेरॉयड के धरती की ओर बढ़ने से खतरा सामने आ जाता है, तो कभी कोई नया तारा वैज्ञानिकों की नज़र में आ जाता है. हाल ही में खगोलशास्त्रियों ने चेतावनी जारी की है कि एक भारी-भरकम उल्का पिंड धरती की ओर बढ़ रहा है, जो उसकी कक्षा से अगले हफ्ते टकरा सकता है. नासा के मुताबिक इस विशालकाय एस्टेरॉयड का साइज़ दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी बिल्डिंग शंघाई टावर के बराबर है. ये अगले हफ्ते में धरती की कक्षा से टकराते हुए आगे जाएगा. साल 2015 में बने शंघाई टावर की ऊंचाई 632 मीटर है और ये उल्कापिंड भी इसी के बराबर है. आशंका जताई जा रही है कि ये 4 अगस्त को धरती की कक्षा से टकराकर गुजरेगा.
तेज़ी से बढ़ रहा है धरती की ओर
डेली स्टार की रिपोर्ट के मुताबिक इस उल्कापिंड का नाम क्यूएल433 रखा गया है और ये बेहद तेज़ी से धरती की ओर बढ़ रहा है. इसका साइज़ बहुत बड़ा है. ये हर 6 साल में शुक्र ग्रह से ब्लास्ट होता है और हर तीन साल में धरती के पास से होकर गुजरता है. इससे पहले साल 2020 की जुलाई में भी ये धरती से होकर गुजरा था. क्यूएल433 नाम का ये उल्कापिंड करीब 47,232 किलोमीटर प्रति घंटा की स्पीड से शंघाई टावर की ओर बढ़ रहा है.
धरती के लिए कितना खतरनाक?
लाल शिफ्ट की ट्रैकिंग रिपोर्ट के मुताबिक एस्टेरॉयड को”संभावित रूप से खतरनाक क्षुद्रग्रह” की श्रेणी में रखा गया है यानि ये ऐसा ऑब्जेक्ट है, जो धरती के काफी करीब आ सकता है. राहत की बात ये है कि इसका मतलब ये नहीं है कि ये विशालकाय एस्टेरॉयड धरती से टकराकर उसे तबाह कर देगा लेकिन नासा को इस पर नज़र रखने की ज़रूरत है. इसे अब तक 233 बार धरती के किनारे से गुजरते हुए देखा गया है लेकिन 1905 में इसे रिकॉर्ड किया गया था.