मप्र उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश ने स्वत: संज्ञान लेकर पीआईएल दर्ज कर अधिवक्ता समुदाय की हड़ताल को अवैधानिक करार दिया। वहीं स्टेट बार द्वारा अधिवक्ता हड़ताल शनिवार को भी जारी रखी गई है। प्रतिनिधि मंडल दिल्ली रवाना हुआ है। उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को राज्यव्यापी हड़ताल पर स्वत: संज्ञान लेकर सभी अधिवक्ताओं को आदेश दिए कि वे तत्काल काम पर लौटें। चीफ जस्टिस रवि मलिमठ व जस्टिस विशाल मिश्रा की खंडपीठ ने 10 पृष्ठीय विस्तृत आदेश में स्पष्टतौर पर कहा कि यदि इसका पालन नहीं हुआ तो इसे अवज्ञा माना जाएगा और उनके विरुद्ध अवमानना की कार्रवाई की जाएगी। अदालत ने रजिस्ट्री को निर्देश दिए कि इस आदेश की प्रति के साथ स्टेट बार काउंसिल के चेयरमैन, हाईकोर्ट बार एसोसिएशन (जबलपुर, इंदौर व ग्वालियर) के अध्यक्ष, हाईकोर्ट एडवोकेट्स बार एसोसिएशन जबलपुर के अध्यक्ष के अलावा प्रदेश भर के जिला बार एसोसिएशन के अध्यक्षों को नोटिस जारी करें।
कोर्ट ने कहा कि जिस तरह बातें सामने आई हैं, उससे हम बेहद हैरान, चिंतित और दुखी हैं। स्टेट बार का पत्र मिलने के बाद जवाब दिया गया था और स्टेट बार के चेयरमैन व सदस्यों से कहा था कि मुद्दों को चीफ जस्टिस के समक्ष विचार के लिए रखें। ऐसा करने के बजाय चेयरमैन ने राज्यव्यापी हड़ताल की घोषणा कर दी। इसके अलावा बार काउंसिल ऑफ इंडिया के चेयरमैन ने भी 23 मार्च को स्टेट बार के चेयरमैन को पत्र लिखकर तत्काल हड़ताल वापस लेने के निर्देश दिए थे, जिसका पालन भी नहीं किया गया। जनहित व पक्षकारों के हित में हाईकोर्ट ने स्वत: संज्ञान लिया है।