इंदौर में डॉक्टरों ने महिला के शरीर से अलग हो चुके हाथ को पूरी तरह से जोड़ दिया है। इंदौर से 165 किमी दूर हादसा हुआ। महिला की सर्जरी 9 घंटे चली। अब महिला के हाथ की तीन उंगलियों में मूवमेंट शुरू हो गया है। जल्द ही पूरा हाथ काम करने लगेगा।
हादसा नलखेड़ा से इंदौर लौटते समय हुआ। बुजुर्ग महिला अपने पोते के साथ जीप की विंडो सीट पर बैठी थी। महिला का हाथ आधा बाहर निकला हुआ था। इसी दौरान एक ट्रक इतनी नजदीक से गुजरा कि महिला के हाथ को शरीर से अलग करते हुए निकल गया। महिला की चीख सुनकर ड्राइवर ने तत्काल गाड़ी रोकी। कार में बैठे बेटे ने महिला का हाथ ढूंढा। और इंदौर के एक अस्पताल में फोन लगाकर डॉक्टरों से बात की। डॉक्टरों ने कहा कि महिला के कटे हाथ को आइस बॉक्स में रख कर इंदौर ले आएं।
कैसे हुआ हादसा
हादसा 4 जून की रात नलखेड़ा से इंदौर लौटते समय आगर रोड पर हुआ। महिला परिवार के साथ रात 9.30 बजे कार से घर लौट रही थी। तभी सारंगपुर से 15 किमी दूर सामने से तेज रफ्तार से आ रहा ट्राला रांग साइड से आया और जीप से सटकर निकला। इस दौरान जीप एक ओर से पूरी तरह पिचक गई। पीछे की सीट पर 55 वर्षीय महिला दो साल के पोते को गोद में लेकर बैठी थी। महिला का एक हाथ विंडो से बाहर निकला था। हादसे में उसका बायां हाथ तेजी से खिंचाया और कोहनी के नीचे से कटकर सड़क पर दूर जा गिरा।
बेटे ने तत्काल डॉक्टरों से ली सलाह
घटनाक्रम इतनी तेजी से हुआ कि महिला को कुछ पता ही नहीं चला। हाथ कटते ही महिला जोर से चिल्लाई। ड्राइवर ने तत्काल गाड़ी रोकी। बेटे ने मां का कटा हाथ देखा और उन्हें संभालने लगा। तभी उसने इंदौर के बॉम्बे हॉस्पिटल में डॉक्टरों को फोन लगाया। डॉक्टरों ने कहा कि कटा हाथ ढूंढो और उसे आइस बॉक्स में रखकर जितनी जल्दी हो इंदौर पहुंचो। उतरा और तेज दौड़ते हुए अंधेरे में कटा हाथ ढूंढ़ा और अपने पास रखा। परिजनों ने बदहवास हो चुकी महिला को संभाला। बेटे ने प्लास्टिक की थैली में मां का कटा हाथ रखा और नजदीक की होटल व ढाबों से बर्फ लेकर थैली में डाला। इंदौर आते-आते उन्हें दो-तीन बार ऐसा करना पड़ा।
ऐसे की सर्जरी
डॉक्टरों ने सबसे पहले कटे हाथ को साफ किया। इसके साथ ही उसकी हडिडयां, वेन, मांसपेशियां व्यवस्थित की। फिर महिला को ऑपरेशन थिएटर में लिया। यहां डॉक्टरों ने सबसे पहले अलग हो चुकी हाथों की दो हडिड्यों को जोड़ा। फिर हाथ की दो आर्टरीज को जोड़ा। इसके बाद वेन्स और नर्व को जोड़ा। फिर ऊपर से स्टिच किया। इस दौरान महिला को छह यूनिट ब्लड चढ़ाना पड़ा। यह सर्जरी नौ घंटे तक चली। यह सर्जरी प्लास्टिक सर्जन डॉ. योगेश टटवाडे के नेतृत्व में की गई। इसमें अर्थोपैडिक एक्सपर्ट डॉ. आनंद गुप्ता और एनेस्थेटिस्ट डॉ. चारू नीमा की टीम की विशेष भूमिका रही। खास बात यह कि तीसरे दिन दिन से ही महिला की हाथ की उंगलियों में सेंसेशन आ गया और हिलाने लगी।