राज्य सरकार ने कोरोना महामारी के दौरान पहली लहर और दूसरी लहर के दरमियान लगाए गए लॉकडाउन में प्रोटोकॉल का उल्लंघन करने पर दर्ज किए गए सभी मामलों को वापस लेने का निर्णय लिया है। लॉकडाउन एक और लॉकडाउन दो के दौरान करीब 56 हजार 670 प्रकरण दर्ज किए गए हैं, जिन्हें वापस लेने के लिए एक सप्ताह के अंतर्गत लोक अभियोजकों के माध्यम से प्रस्ताव न्यायालयों में प्रस्तुत किए जाने की तैयारी है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने गत दिनों इस संबंध में गृह विभाग को निर्देश दिए थे। लॉकडाउन एक और लॉकडाउन दो की अवधि के दौरान कोरोना प्रोटोकॉल तोडऩे वालों को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बड़ी राहत दी है। यह निर्णय केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा जारी की गई एडवाइजरी के तहत लिया गया है। उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र राज्य सरकारें भी अपने-अपने प्रदेश में इस तरह के दर्ज मामलों को वापस लेने का निर्णय लिया है। गृह विभाग की जानकारी के अनुसार लॉकडाउन कोरोना लॉकडाउन का पालन नहीं करने पर आईपीसी की धारा 188, 269, 270, 271, महामारी अधिनियम 1897 और आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 के अंतर्गत प्रकरण दर्ज किए गए थे।
2020 में 33 हजार से अधिक केस दर्ज गृह विभाग के अनुसार प्रदेश में 20 मार्च से 30 जून 2020 के मध्य लगाए गए पहले लॉकडाउन में 32,463 प्रकरण धारा 188 आईपीसी में और 669 प्रकरण महामारी अधिनियम अंतर्गत दर्ज किए गए थे। जबकि 13 मार्च 2021 से 19 जून 2021 के बीच लगाए गए दूसरे लॉकडाउन में 22,336 प्रकरण धारा 188 आईपीसी में और 1,202 प्रकरण महामारी अधिनियम दर्ज हुए थे। गृह मंत्री डॉ. मिश्रा ने बताया कि मुख्यमंत्री के निर्देश पर साधाराण धाराओं में दर्ज प्रकरण वापस लिए जा रहे हैं। इसकी प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।