हिंदू छात्राओं को जबरन मुस्लिम धर्म की शिक्षा, हिजाब और धर्मांतरण की कोशिश के आरोप में दमोह के गंगा जमुना स्कूल संचालक के खिलाफ आईपीसी की धारा 295, 506 और जेजे एक्ट के तहत प्रकरण दर्ज किया गया है। एसआईटी धर्मांतरण और जबरन मुस्लिम धर्म की शिक्षा संबंध मामले की जांच अभी कर रही है। इसके साक्ष्य मिलने के बाद धाराएं और बढ़ाई जा सकती हैं। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान पहले की जिला कलेक्टर को सभी बिंदुओं पर बारकी से जांच करने के निर्देश दिए थे। मुख्यमंत्री की सख्ती के बाद ही गंगा जमुना स्कूल की मान्यता निलंबित की गई है। बुधवार को गृह मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा ने बुधवार को दमोह पुलिस को निर्देश दिए थे कि आज ही एफआईआर की जाए।इसके बाद बुधवार देर शाम पुलिस ने स्कूल संचालक के खिलाफ प्रकरण दर्ज कर लिया है। हालांकि अभी आरोपी पकड़े नहीं गए हैं।
दस सदस्यों पर मामला दर्ज
दमोह पुलिस अधीक्षक राकेश सिंह ने बताया कि गंगा जमना स्कूल के बच्चों ने स्कूल पर कई प्रकार के आरोप लगाए थे। तीन बच्चों के कथन को संज्ञान में लिया गया और उसके बाद गंगा जमना स्कूल प्रबंधन कमेटी के करीब दस सदस्यों पर धारा 295, 506 और जेजे एक्ट के तहत मामला दर्ज कर जांच में लिया है।
देश के नक्से से छेड़छाड़ की भी जांच
गंगा जमना स्कूूल और इसके प्रबंधन के अलग-अलग संस्थाओं में भारत के नक्से को छेड़छाड़ कर प्रतीक चिन्ह (लोगो) लगाए गए हैं। अब इसपर भी जांच शुरू हो गई है। भारत के नक्शे से छेड़छाड़ के सवाल पर एसपी ने कहा कि इसकी जांच हाई पावर कमेटी कर रही है वही इसका जवाब दे पाएगी। उन्होंने बताया कि अभी बयान होने हैं उसके बाद धाराएं भी बढ़ सकती हैं और आरोपियों की संख्या में भी इजाफा होगा। दरअसल प्रतीक चिन्हन में भारत के आधे हिस्से को ही दिखाया गया जिसे हरे रंग में दर्शाया गया है।
बच्चों पर नमाज पढऩे दबाव बनाया जाता था
गौरतलब है कि मंगलवार को स्कूल में अध्यनरत बच्चों ने आरोप लगाया था कि उन्हें नमाज पढऩे मजबूर किया जाता है। छात्राओं ने कहा था कि उन्हें हिजाब पहनने दवाब बनाया जाता है और ऐसा न करने पर पिटाई होती है। एक छात्र ने बताया था कि हाथ पर कलावा बांधने और माथे पर तिलक लगाने पर भी प्रतिबंध था। छात्रों के इन्ही बयानों के आधार पर मामले की जांच आगे बढ़ी है।