- अनुकूलता परखने अगले महीने आएगा विशेषज्ञों का दल
- भावसं ने शुरू की डीपीआर बनाने की तैयारी
- कूनो पालपुर, गांधी सागर, नौरादेही व शिवपुरी का होगा दौरा
स्वदेश ब्यूरो, भोपाल
प्रदेश की धरती पर चीतों के रफ्तार भरने का सपना पूरा होने जा रहा है। दरअसल देश में प्रस्तावित चीता पुनर्वास परियोजना के लिए श्योपुर जिले के कूनो पालपुर समेत आधा दर्जन उद्यानों में चीता की रहवास की अनुकूलता को परखने अफ्रीकी देश नामीबिया से तीन विशेषज्ञ अप्रैल में मध्यप्रदेश आ रहे हैं। वे करीब एक हफ्ते रुककर कूनो पालपुर, गांधी सागर, नौरादेही अभयारण्य और शिवपुरी स्थित माधव राष्ट्रीय उद्यान का भ्रमण करेंगे।
भारतीय वन्यजीव संस्थान, सुप्रीम कोर्ट की साधिकार समिति और प्रदेश के वन अधिकारियों की हाल ही में आयोजित वर्चुअल बैठक में इस पर लंबी चर्चा हुई। इसके बाद ही नामीबिया के विशेषज्ञों को आने का न्यौता दिया गया। बताया जा रहा है कि यह दल अगले महीने मप्र आएगा।
मध्यप्रदेश ही क्यों?
दरअसल, चीतों के लिए देश में सबसे बेहतर मध्यप्रदेश के कूनो पालपुर के जंगल को माना गया है। इसलिए नामीबिया और अन्य दो अफ्र ीकी देशों के चीता विशेषज्ञ अगले महीने यहां आ रहे हैं। वे सबसे पहले कूनो पालपुर और फि र शेष तीनों संरक्षित क्षेत्रों का दौरा करेंगे। विशेषज्ञ अपनी सरकार को रिपोर्ट देंगे, जिसमें बताएंगे कि जिन संरक्षित क्षेत्रों में चीता बसाए जाने हैं, वहां चीता खुद को जीवित रख पाएंगे या नहीं। विशेषज्ञ दल इस दौरान चीतों की रहवास अनुकूलता के लिए जरूरी जलवायु , इंतजाम आदि को परखेगा। इस रिपोर्ट में की गई अनुशंसा ही तय करेगी कि नामीबिया व अन्य देशों की सरकार भारत को चीता देगी या नहीं।
विशेषज्ञ दल की रिपोर्ट होगी अहम्
इस दल की रिपोर्ट के आधार पर ही नामीबिया सहित अफ्रीका के अन्य देश, भारत को चीता देने के प्रस्ताव पर मुहर लगाएंगे। वहीं भारतीय वन्यजीव संस्थान देहरादून ने परियोजना को लेकर विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर)की तैयारी शुरू कर दी है, जो राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण के माध्यम से राज्य सरकार को भेजी जाएगी और फि र परियोजना को लेकर दोनों सरकारों के बीच अनुबंध होगा।
परियोजना के लिए अनुबंध होगा
भारत सरकार की तमाम परियोजना की तरह चीता परियोजना के लिए भी द्वि-पक्षीय अनुबंध होगा। अनुबंध भारतीय वन्यजीव संस्थान देहरादून की डीपीआर के आधार पर होगा। डीपीआर बनाने की प्रक्रिया भी जल्द शुरू होने जा रही है। इस परियोजना पर 20 से 40 फ ीसद राशि राज्य सरकार को खर्च करना पड़ेगी। इसे देखते हुए भारत सरकार की ओर से राज्य को विधिवत रूप से परियोजना में शामिल करना होगा। संस्थान, परियोजना से राज्य सरकार को जोडऩे की औपचारिकताएं पूरी करने को तैयार हो गया है।