आज के समय में हर एक इंसान की जीवन में आर्टिफि शियल इंटेलीजेंस की मौजूदगी है। टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में इंसान ने इतनी तरक्की की है कि उसी की तरह सोचने-समझने और अपने दिमाग का इस्तेमाल करने वाला एक चलता फि रता मशीन रोबोट आदि के बारे में सोच रहा है। जो बिल्कुल इंसानों की तरह काम करने की क्षमता रखता हो, इसी एडवांस टेक्नोलॉजी से बनने वाली मशीन को ही आर्टिफि शियल इंटेलिजेंस कहा जाता है। यह बात उत्तराखंड विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद के महानिदेशक प्रो. दुर्र्गेंश पंत ने विद्यार्थियों से वर्तमान समय में हो रहे तकनीकी डेवलपमेंट पर चर्चा करते हुए कही।
राजधानी स्थित मप्र विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद (मेपकॉस्ट) की ओर से आयोजित 16वें विज्ञान मंथन यात्रा का समापन शुक्रवार को हुआ। विज्ञान के प्रति स्कूली छात्रों की रुचि जाग्रत करने के उद्देश्य से आयोजित इस यात्रा के अंतिम दिन तीन प्रमुख सत्र रखे गए, जिसमें देश के विभिन्न संस्थानों के विषय विशेषज्ञों ने विज्ञान के क्षेत्र में हो रहे नवाचारों पर अपने विचार रखे। इससे पहले परिषद के महानिदेशक डॉ. अनिल कोठारी ने इस वायदे के साथ विदाई ली कि वे अगले साल वृहद स्वरूप में इस यात्रा का आयोजन करेंगे। अंतिम दिन विशेष रूप से बच्चों को नई टेक्नोलॉजी जैसे आर्टिफि शियल इंटेलीजेंस और मशीन लर्निंंग पर बात हुई।
सूरज के उगने से लेकर चांद निकलने तक साइंस है :
भोपाल स्थित रीजनल साइंस सेंटर के प्रोजेक्ट डायरेक्टर डॉ. साकेत सिंह कौरव ने बच्चों से रूबरू होते हुए उनके अंदर विज्ञान के प्रति दृष्टिकोण पैदा करने की कोशिश की। सबसे पहले डॉ. साकेत ने बच्चों को छोटे-छोटे मनोरंजक गेम खिलाए और उसके जरिए बच्चों को सोचने के लिए मजबूर किया। बच्चों को बताया कि आपके मन में विज्ञान के प्रति रुचि तब जागेगी, जब आपके मन में किसी विषय को लेकर जिज्ञासा जागेगी। इससे आप उसके वस्तु के पीछे लगी साइंस या फि र टेक्नोलॉजी के बारे में सोचने पर मजबूर होंगे। उन्होंने कहा कि जैसे ही आपने इसके बारे में सोचना शुरू किया आप खुद से ही इसकी दुनिया में प्रवेश कर जाएंगे। डॉ. साकेत ने बताया कि सूरज के उगने से लेकर चांद के निकलने तक में भी साइंस का जुड़ाव है। जब तक आप किसी के बारे में सोचना नहीं शुरू करेंगे आप इस विज्ञान की यात्रा में शामिल नहीं हो पाएंगे।
विज्ञान के क्षेत्र में रिसर्च के लिए आगे आये :
कार्यक्रम के अंत में मप्र विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद के प्रधान वैज्ञानिक डॉ. विकास शेंडे ने साइंस पॉपुलराइजेशन एक्टिविटीज इन मध्यप्रदेश विषय पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि कुछ बच्चे विज्ञान, गणित, अंग्रेजी से डरते हैं। जबकि बच्चों को इन विषयों से डरने के बजाय उनमें रूचि लेना चाहिए। उन्होने बच्चों से विज्ञान के क्षेत्र में रिसर्च के लिए आगे आने की बात कही।