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बसों से बिगड़ रही शहर में ट्रैफिक व्यवस्था, आयोग ने पुलिस आयुक्त को दिए जांच के निर्देश

भोपाल शहर में जिला प्रशासन व पुलिस के सख्त आदेश के बाद भी बस संचालक अपनी बसों को शहर के भीतर लगातार चलाकर शहर की ट्रैफि क व्यवस्था को बिगाड़ रहे हैं। मामले में मप्र मानव अधिकार आयोग ने संज्ञान लेते हुए पुलिस आयुक्त को जांच कराने के निर्देश दिए हैं। इसके साथ ही आयोग ने बसों के परमिट की शर्तो के अनुरूप संचालन एवं शहरवासियों की जोखिमपूर्ण स्थिति के निवारण के लिए की गई कार्यवाही के संबंध में तीन सप्ताह के भीतर जवाब मांगा है।

आयोग के संज्ञान मे आया है कि कुछ बसों पर कार्यवाही तो की गई, पर बस संचालकों का असहयोगात्मक रवैया बना हुआ है। इसी का नतीजा है कि बसें हलालपुर व नादरा से आईएसबीटी तक आवागमन कर रहीं हैं और ट्रैफि क अमले को मुंह चिढ़ाते हुये उनके ड्रायवर-कंडक्टर दिन भर शहर में यहां-वहां गुजरते हैं। यह मुद्दा जिला यातायात समिति की बैठक में भी उठ चुका है, पर बस संचालकों पर कोई कार्यवाही नहीं हुई है। 

खंबे पर केबल का मकडज़ाल, कार्यपालन यंत्री से जवाब-तलब :

भोपाल शहर के जुमेराती स्थित जनकपुरी में सड़के के आसपास लगे बिजली व अन्य खंभों पर केबल-तार लटक रहे हैं, जिसकी वजह से वहां से गुजरने वाले वाहन चालकों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। खंबों पर केबल का मकडजाल दिखाई देता है और सड़क पर केबल के इतने टुकड़े है कि उन्हें गिनना भी मुश्किल है। केबल के इन टुकडों पर लोग कचरा फेंकते हैं। ऐसे मे दुर्घटना होने की आशंका बनी रहती है। मामले में संज्ञान लेकर ने कमिश्नर, नगर निगम, भोपाल एवं कार्यपालन यंत्री, मप्र मध्य क्षेत्र वि.वि.कं.लि. से प्रकरण की जांच कराकर की गई कायज़्वाही के संबंध में तीन सप्ताह में जवाब मांगा है।

लावारिस खड़ी हैं एंबुलेंस, पुलिस आयुक्त से मांगा जवाब :

जिला कलेक्ट्रेट भोपाल के पास राज्य अल्पसंख्यक आयोग के मुख्य द्वार के दोनों तरफ तीन एंबुलेंस धूल खा रहीं हैं, जबकि रोड़ के दूसरी तरफ भी तीन 108 एंबुलेंस कंडम हो रही हैं। एक एंबुलेंस को तो ढंका गया है, जबकि अन्य लावारिस खड़ीं हैं। एक 108 एंबुलेंस पिपलानी पेट्रोल पंप चैराहे पर भी धूल खा रही हैं। यह कब से और क्यों खड़ीं हैं ? इसकी जानकारी न तो एनएचएम अफ सर दे पा रहे हैं और न ही एनएचएम के प्रभारी संचालक बता रहे हैं। चूंकि सम्पत्ति लावारिस होना बताया गया है और इसके संबंध में कोई जानकारी भी नहीं होना बताया गया है। मामले में संज्ञान लेकर मप्र मानव अधिकार आयोग ने पुलिस कमिश्नर, भोपाल से 15 दिन में जवाब मांगा है।

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