शहीद भवन में चल रहे 19वां राष्ट्रीय रंग आलाप नाट्य महोत्सव में मंगलवार की शाम नाटक ‘चरणदास चोर’ का मंचन किया गया, हबीब तनवीर के लेखन व निर्देशन में तैयार नाटक में नया थिएटर के कलाकारों ने अभिनय ने दर्शकों को ठहाके लगाने पर मजबूर किया। नाटक में दिखाया गया कि नाटक लोक शैली में प्रस्तुत किया गया, जिसकी शुरूआत चोरी के सीन से होती है।
नाटक की कहानी
नाटक की शुरुआत एक सोने के थाल के चक्कर में पुलिस चरणदास को पकड़ना चाहती है, लेकिन बेहद चालाकी से चरणदास बचता रहता है। पुलिस से बचते बचते चरणदास एक बाबा की कुटिया में पहुंचता है, जहां बाबा उसे झूठ न बोलने की नसीहत देता है। इसके अलावा बाबा उसे पुलिस से बचाने के लिए तीन वचन भी ले लेते है, जिसमें बाबा कहते हैं कि चरणदास कभी भी सोने की थाली में भोजन नहीं करेगा, किसी रानी से शादी नहीं करेगा और किसी राज्य का राजा नहीं बनेगा। वचन देकर चरणदास वहां से जाकर दूसरी जगह चोरी करता रहता है और हर बार बच जाता है, लेकिन एक दिन वह रानी के महल में सोने की मोहरें चोरी करने के आरोप में पकड़ा जाता है। और रानी के पकड़े जाने पर कबूल लेता है कि उसने केवल पांच मोहरें चोरी की हैं, बाकी उनके मंत्री ने चुराई है। चरणदास के सत्य से रानी प्रभावित हो रानी चरणदास के लिए सोने की थाली में खाना मंगवाती है पर वह खाने से मना कर देता है।
दर्शकों को ठहाके लगाने पर मजबूर
रानी चरणदास से राजा बनने और शादी करने को कहती है। गुरु को दिए वचनों के कारण चरणदास रानी का विवाह का प्रस्ताव ठुकरा देता है। जिसके बाद रानी कहती है कि हमारे बीच जो भी बातचीत हुई उसे किसी से नहीं कहना, लेकिन सच बोलने के वचन के कारण चरणदास इस बात से भी इंकार कर देता है और रानी गुस्से में आकर उसे फांसी पर चढ़ाने का हुक्म दे देती है। इस तरह अपने वचनों पर अडिग रहने वाले चरणदास को फांसी की सजा मिलती है। हास्य से भरे नाटक के मंचन के दौरान दर्शक खूब ठहाके लगाते नजर आए। कलाकारों की अदाकारी काबिले तारीफ रही।