–11 दिन बीतने के बाद भी पुलिस की जांच बेनतीजा
भोपाल। जूनियर डॉक्टर बाला सरस्वती आत्महत्या मामले में 11 दिन बीतने के बाद भी पुलिस की जांच बेनतीजा है। परिजन लगातार मामले में दोषियों पर कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। वहीं जूडा ने इस मामले को लेकर लेटलतीफी का आरोप लगाया है। जूडा का कहना है कि परिवार के लोग काफी परेशान हैं, वह हमसे लगातार संपर्क में हैं। जिन दोषियों के नाम परिजनों ने पुलिस से की शिकायत में लिखे हैं। उन पर अब तक पुलिस ने कोई कार्रवाई तय नहीं की है। जूडा प्रवक्ता कुलदीप गुप्ता कहना है कि कई बार पुलिस से पूछ चुके हैं। अभी तक पुलिस ने मामले में एफआईआर दर्ज नहीं की है। बता दें कि 31 जुलाई को गांधी मेडिकल कॉलेज की जूनियर डॉक्टर बाला सरस्वती (27) ने आत्महत्या कर ली थी। वे 14 हफ्ते की गर्भवती थीं।
परिजन भी लगा चुके हैं आरोप:
इससे पहले बाला के परिवार के सदस्य भी पुलिस पर लेटलतीफी का आरोप लगा चुके हैं। बाला की बहन लक्ष्मी का कहना है कि हम लगातार पुलिस के संपर्क में हैं। हमने शिकायती आवेदन भी दिया है। अभी तक उस पर पुलिस ने मामला दर्ज नहीं किया है। हम शनिवार को भी एसीपी उमेश तिवारी के पास गए थे। वहां कोई नहीं मिल रहा है। जब तक एफआईआर नहीं होगी हम यही रहेंगे।
5 अगस्त को खत्म हुई हड़ताल:
चिकित्सक बाला सरस्वती आत्महत्या प्रकरण को लेकर जूनियर डॉक्टर्स 31 जुलाई से ही हड़ताल पर थे। 5 अगस्त को चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने जूनियर चिकित्सकों के साथ चर्चा की। उन्होंने उचित कार्रवाई का भरोसा दिया, जिसके बाद जूनियर डॉक्टरों ने हड़ताल खत्म करने की घोषणा की थी। यह चिकित्सक गांधी मेडिकल कॉलेज की गायनिकोलॉजी विभाग की प्रोफेसर डॉ. अरुणा कुमार को हटाने की मांग को लेकर हड़ताल कर रहे थे। जिसके बाद शासन ने उन्हें डीएमई अटैच किया।
अब मेडिकल कॉलेजों में विभागाध्यक्षों का कार्यकाल अधिकतम 2 साल रहेगा:
चिकित्सा शिक्षा विभाग ने प्रदेश के मेडिकल कॉलेज में विभागों के हेड को लेकर निर्देश जारी किए हैं। जिसके तहत सीनियर प्रोफेसर को विभाग का अध्यक्ष बनाया जाएगा। जिसका कार्यकाल अधिकतम 2 साल का होगा।