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ब्रिटेन ने कहा- भारत को सहायता कार्बन उत्सर्जन कम करने पर केंद्रित

  • 75 प्रतिशत जलवायु कार्रवाई परियोजनाओं को ध्यान में रखकर दिया गया है।
  • यह विकास साझेदारी मॉडल के तहत सभी पैसे वापस करने के लिए निर्धारित है।
    नवीनतम आंकड़ों के अनुसार ‘जलवायु और प्रकृति’ का विषय भारत के लिए ब्रिटेन के द्विपक्षीय सहायता के केंद्र पर हावी है। इसके तहत 2023-24 के लिए आवंटित लगभग 380 मिलियन ग्रेट ब्रिटिन पाउंड (जीबीपी ) का 75 प्रतिशत जलवायु कार्रवाई परियोजनाओं को ध्यान में रखकर दिया गया है। पिछले सप्ताह यूके फॉरेन, कॉमनवेल्थ एंड डेवलपमेंट ऑफिस (एफसीडीओ) द्वारा जारी यूके-भारत विकास साझेदारी के संक्षिप्त विवरण से पता चलता है कि शेष 24 प्रतिशत फंड द्विपक्षीय निवेश साझेदारी (बीआईपी) की थीम के अंतर्गत और एक प्रतिशत वैश्विक स्वास्थ्य के अंतर्गत दिया गया है। भारत जैसी तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था के लिए निरंतर उच्च सहायता आवंटन की कुछ आलोचनाओं के बीच एफसीडीओ ने बताया कि यह विकास साझेदारी मॉडल के तहत सभी पैसे वापस करने के लिए निर्धारित है जो पारंपरिक सहायता निधि आधार से अलग है। एफसीडीओ के प्रवक्ता ने कहा, ब्रिटेन की सहायता से भारत को वाणिज्यिक निवेश के माध्यम से अपने कार्बन उत्सर्जन को कम करने में मदद मिलती है, यह पारंपरिक विकास सहायता नहीं है। प्रवक्ता ने कहा, हमारे द्वारा अब तक खर्च किए गए 330 मिलियन जीबीपी में से 100 मिलियन जीबीपी पहले ही लौटा दिए गए हैं और उम्मीद है कि भविष्य में हमारा सारा पैसा वापस आ जाएगा। नवीनतम नीति पत्र के अनुसार, 2024-25 में भारत के लिए एफसीडीओ (FCDO) द्विपक्षीय विकास सहायता बजट 57 मिलियन जीबीपी तक बढ़ने की उम्मीद है। प्रवक्ता ने कहा कि यूके की अधिकांश विकास सहायता ब्रिटिश इंटरनेशनल इन्वेस्टमेंट (बीआईआई) के माध्यम से निवेश की जाती है, जिसमें बुनियादी ढांचे, वित्तीय सेवाओं और स्वास्थ्य देखभाल सहित प्रमुख क्षेत्र शामिल हैं। नीति पत्र में कहा गया है कि यूके इक्विटी निवेश पोर्टफोलियो के मामले में भी भारत अद्वितीय है। आज की तारीख में 330 मिलियन जीबीपी की विकास पूंजी भारत सरकार या अन्य भारतीय संस्थानों के निवेश के साथ-साथ छोटे, नए भारतीय उद्यमों में निवेश करने के लिए प्रतिबद्ध है। इसका उद्देश्य है उद्यमों की मदद करना, टिकाऊ और समावेशी तरीकों से नौकरियां विकसित करना और पैदा करना और उस बिंदु तक पहुंचना जहां हम अपनी हिस्सेदारी बेच सकें और अपने वित्त का पुनर्निवेश कर सकें। इसमें कहा गया है कि भारत में बीआईआई का निवेश सीधे तौर पर 5,00,000 से अधिक नौकरियों का समर्थन करता है और जिन व्यवसायों में उन्होंने निवेश किया है, उन्होंने 2021 में भारत सरकार को करों में 500 मिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक का भुगतान किया है। ऐसे निवेशों के कुछ उदाहरण अयाना रिन्यूएबल पावर के रूप में उजागर किए गए हैं, जिसे 2018 में वित्त पोषित किया गया था। बीआईआई द्वारा स्वच्छ ऊर्जा में निवेश करने के लिए और रोजर्व एनवायरो, जो औद्योगिक ग्राहकों को एंड-टू-एंड अपशिष्ट जल उपचार और रीसाइक्लिंग समाधान प्रदान करता है।

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