- 14 साल पहले 2009 में बने ब्रिक्स समूह की बैठक इस बार काफी अहम मानी जा रही है।
- चीन हेजीमनी यानी हर जगह अपने दबदबे की चाहत नहीं रखता है।
साउथ अफ्रीका के जोहान्सबर्ग में 15वें ब्रिक्स समिट की शुरुआत हो गई है। इस दौरान ब्रिक्स देशों के सभी नेता लावरोव सैंड्टन कन्वेंशन सेंटर में हाथ पकड़कर तस्वीर खिंचवाते नजर आए। साउथ अफ्रीका के राष्ट्रपति सिरिल रामाफोसा के बयान के साथ बैठक की शुरुआत होगी।
इसके बाद बाकी सभी देशों के नेता बयान जारी करेंगे। समिट के बाद BRICS लीडर्स एक जॉइंट प्रेस कॉन्फ्रेंस भी करेंगे। इससे पहले साउथ अफ्रीका दौरे के दूसरे दिन राष्ट्रपति रामाफोसा से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुलाकात की। दोनों नेताओं के बीच द्विपक्षीय बैठक हुई।
इससे पहले मंगलवार को 15वीं BRICS समिट के तहत बिजनेस फोरम इवेंट आयोजित हुआ। हालांकि, इसमें चीन के राष्ट्रपति जिनपिंग शामिल नहीं हुए। चीन के प्रतिनिधि ने फोरम में कहा – जिनपिंग ने ब्रिक्स के विस्तार की बात कही है, जिससे इंटरनेशनल बॉर्डर को और मजबूत किया जा सके। चीन हेजीमनी यानी हर जगह अपने दबदबे की चाहत नहीं रखता है। ये हमारे DNA में नहीं है।
BRICS का मेंबर बनने की रेस में 40 देश
14 साल पहले 2009 में बने ब्रिक्स समूह की बैठक इस बार काफी अहम मानी जा रही है। इसकी एकमात्र वजह इस संगठन का सदस्य बनने के लिए मची होड़ है। लगभग 40 देशों ने संगठन में शामिल होने की इच्छा जाहिर की है।
इनमें सऊदी अरब, पाकिस्तान,तुर्किये और ईरान भी शामिल हैं। इस बार की बैठक का सेंटर पॉइंट समूह का विस्तार ही होगा। हालांकि इसके पांच सदस्य देशों के बीच अभी इस मुद्दे पर सहमति नहीं बन पाई है।न्यूज एजेंसी ‘ANI’ की रिपोर्ट के मुताबिक इस बार की बैठक में 45 मेहमान देश शामिल हो सकते हैं। सम्मेलन के बाद अफ्रीका आउटरीच और ब्रिक्स प्लस डायलॉग किया जाएगा। इसमें दक्षिण अफ्रीका की ओर से आमंत्रित अन्य देश शामिल होंगे। विदेश मंत्रालय के सचिव विनय क्वात्रा के मुताबिक ब्रिक्स समिट में ग्लोबल इकोनॉमिक रिकवरी, जियो पॉलिटिकल चैलेंज और काउंटर टेरेरिज्म पर बातचीत की जाएगी।