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राजस्थान में मौजूद ये 7 भव्य और पौराणिक मंदिर, जिनका इतिहास जानकर रह जाएंगे हैरान

राजस्थान भारत का सबसे बड़ा राज्य है। यह अपने वैभव, संस्कृति, किलों और मेहलो के लिए पूरी दुनिया में मशहूर है। राजस्थान में कई सारे सुन्दर शहर जैसे की झीलो के शहर कहाँ जाने वाला उदयपुर, राजश्थान की राजधानी जयपुर है। यहाँ हर साल लाखो की संख्या में लोग किला और महल की सुंदरता देखने आते है। लेकिन क्या आप जनते है यहाँ कई पौराणिक और खूबसूरत मदिर भी है जहाँ एक बार आपको जरूर जाना चाहिए।


रानी सती मंदिर, झुंझुनू

रानी सती मंदिर (रानी सती दादी मंदिर) भारत के राजस्थान राज्य के झुंझुनू जिले के झुंझुनू में स्थित एक मंदिर है। रानी सती मंदिर 13वीं शताब्दी में बनाया गया था और इसे देश का सबसे बड़ा मंदिर माना जाता है। जो एक राजस्थानी महिला रानी सती को समर्पित है, रानी सती को नारायणी देवी भी कहा जाता है और उन्हें दादीजी (दादी) कहा जाता है। रानी सती मंदिर के परिसर में भगवान हनुमान मंदिर, सीता मंदिर, ठाकुर जी मंदिर, भगवान गणेश मंदिर और शिव मंदिर भी हैं। प्रत्येक ‘आरती’ के बाद एक नियमित ‘प्रसाद’ वितरण होता है। साथ ही मुख्य मंदिर में बारह छोटे सती मंदिर हैं। भगवान शिव की एक विशाल प्रतिमा परिसर के केंद्र में स्थित है और हरे-भरे बगीचों से घिरी हुई है। मंदिर के अंदर, आंतरिक भाग को उत्कृष्ट भित्ति चित्रों और कांच के मोज़ाइक से सजाया गया है जो जगह के पूरे इतिहास को दर्शाता है।


ब्रह्मा मन्दिर, पुष्कर


ब्रह्मा मन्दिर एक भारतीय हिन्दू मन्दिर है जो भारत के राजस्थान राज्य के अजमेर ज़िले में पवित्र स्थल पुष्कर में स्थित है। इस मन्दिर में जगत पिता ब्रह्माजी की मूर्ति स्थापित है।ऐसा माना जाता है कि भगवान ब्रह्मा स्वर्ग से उतरे थे और उन्होंने यहां यज्ञ किया था। यह मंदिर सफेद संगमरमर से बना है और अपनी सुंदरता और भव्यता के कारण आसानी से पहचाना जा सकता है। इस मन्दिर का निर्माण लगभग 14वीं शताब्दी में हुआ था पारीक ब्राह्मण समाज के व्यक्तियों ने मंदिर का निर्माण करवाया था जो कि लगभग 700 वर्ष पुराना है। यह मन्दिर मुख्य रूप से संगमरमर के पत्थरों से निर्मित है।कार्तिक पूर्णिमा त्योहार के दौरान यहां मन्दिर में हज़ारों की संख्या में भक्तजन आते रहते हैं। श्री ब्रह्मा मंदिर को भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण विभाग द्वारा 4 मार्च 2005 को राष्ट्रीय महत्व का स्मारक घोषित किया गया।


दिलवाड़ा जैन मंदिर, माउंट आबू


दिलवाड़ा जैन मंदिर मंदिर राजस्थान की अरावली पहाड़ियों के बीच स्थित जैनियों का सबसे सबसे सुंदर तीर्थ स्थल है। इस मंदिर का निर्माण 11 वीं और 13 वीं शताब्दी के बीच वास्तुपाल तेजपाल द्वारा किया गया था। यह मंदिर अपनी जटिल नक्काशी और हर कोने से संगमरमर से सजे होने के लिए प्रसिद्ध है। यह मंदिर बाहर से बहुत ही सामान्य दिखता है, लेकिन जब आप इस मंदिर को अंदर से देखेंगे तो इसकी छत, दीवारों, मेहराबों और स्तंभों पर बनी हुई डिजाइनों को देखकर हैरान रह जायेंगे। यह सिर्फ जैनियों का तीर्थ स्थल ही नहीं बल्कि एक संगमरमर से बनी एक जादुई संरचना है। जो यहाँ आने वाले पर्यटकों को बार-बार यहां आने पर मजबूर करती है।


एकलिंगजी मंदिर, उदयपुर


उदयपुर में मौजूद एकलिंगजी मंदिर राजस्थान के साथ-साथ भारत के सबसे प्राचीन मंदिर में से एक है। कहा जाता है कि इस मंदिर का निर्माण लगभग 734 ई. में बाप्पा रावल द्वारा निर्माण करवाया गया था। आपको बता दें कि यह मंदिर एक चार-मुखी मूर्ति के चलते पूरे भारत में फेमस है और यह भगवान शिव को समर्पित है। स्थानीय लोगों का मानना है कि एकलिंगजी मंदिर मेवाड़ शासकों के देवता रहे हैं। कई लोगों का यह भी मानना है कि 15वीं शताब्दी के दौरान इस मंदिर को लूटने के लिए कई बार आक्रमण भी हुए थे, जिसके बाद इस मंदिर का पुनर्निर्माण किया गया था।


करणी माता मन्दिर, बीकानेर


करणी माता का मन्दिर एक प्रसिद्ध हिन्दू मन्दिर है जो राजस्थान के बीकानेर जिले में स्थित है। इसमें देवी करणी माता की मूर्ति स्थापित है। यह बीकानेर से 30 किलोमीटर दक्षिण दिशा में देशनोक में स्थित है। करणी माता का जन्म चारण कुल में हुआ यह मन्दिर चूहों का मन्दिर भी कहलाया जाता है। मन्दिर में सफेद चूहे का दर्शन मंगलकारी माना जाता है। इस पवित्र मन्दिर में लगभग 25000 चूहे रहते हैं।
इस मन्दिर का निर्माण बीकानेर के महाराजा गंगा सिंह ने राजपूत शैली में लगभग 15-20वीं सदी में करवाया था। मन्दिर के सामने महाराजा गंगा सिंह ने चांदी के दरवाजे भी बनाए थे। देवी की छवि अंदरूनी गर्भगृह में निहित है। मन्दिर में 1999 में हैदराबाद के कुंदन लाल वर्मा ने भी कुछ मन्दिर का विस्तार किया था।


जैन मंदिर, रणकपुर


रणकपुर जैन मंदिर राजस्थान में स्थित जैन धर्म के पांच प्रमुख स्थलों में से एक है। यह स्थान बेहद खूबसूरती से तराशे गए प्राचीन मंदिरों के लिए विख्यात है। यह उदयपुर से 96 किलोमीटर की दूरी पर पाली जिले के सादड़ी में स्थित है।भारत के जैन मंदिरों में संभवतः इसकी इमारत सबसे भव्य तथा विशाल है. रणकपुर जोधपुर और उदयपुर के बीच में अरावली पर्वत की घाटियों मैं स्थित है इसलिए यह जगह बहुत ही मनोरम बन जाती है।
यह स्थान उन मंदिरों के लिए प्रसिद्ध है जो उत्तरी भारत के श्वेताम्बर जैन मंदिर में अपना विशिष्ट स्थान रखते हैं। यहां स्थित प्रमुख मंदिर को रणकपुर का चौमुखा मंदिर कहते हैं। इस मंदिर के चारों ओर द्वार है. मंदिर में प्रथम जैन तीर्थंकर आदिनाथ की मूर्ति स्थापित है। इस मंदिर के अलावा दो और मंदिर है जिनमें भगवान पार्श्वनाथ और नेमिनाथ की प्रतिमाएं प्रतिष्ठा प्राप्त हैं।


गलताजी मंदिर, जयपुर


गलताजी भारत के राजस्थान राज्य में जयपुर से लगभग 10 किमी दूर एक प्राचीन हिंदू तीर्थस्थल है । इस स्थल में जयपुर को घेरने वाली पहाड़ियों की रिंग में एक संकीर्ण दरार में बने मंदिरों की एक श्रृंखला शामिल है। पहाड़ी पर एक प्राकृतिक झरना ऊँचे से निकलता है और नीचे की ओर बहता है, जिससे पवित्र कुंडों (पानी के टैंक) की एक श्रृंखला भर जाती है जिसमें तीर्थयात्री स्नान करते हैं। पर्यटक और तीर्थयात्री क्रेवास पर चढ़ सकते हैं, सबसे ऊंचे पानी के पूल से आगे बढ़ते हुए एक पहाड़ी की चोटी पर स्थित मंदिर तक जा सकते हैं, जहां से जयपुर और इसके किलेबंदी घाटी के तल तक फैली हुई है। ऐसा माना जाता है कि गालव नाम के एक संत यहां रहते थे, ध्यान करते थे और तपस्या करते थे ।

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