इस आधुनिकता भरी दुनिया में हम बहुत सारी ऐसी चीजें इस्तमाल करते हैं, जो दिखने में अच्छी हो। भले उससे हमें लाभ हो या हानि। आजकल टॉयलेट पेपर का इस्तेमाल भी काफी ज्यादा हो रहा है। साफ सफाई के लिहाज से ये बेहतर है लेकिन इसे बनाने में ऐसे कई खतरनाक केमिकल का इस्तेमाल होता है जो जहरीले होते हैं। हालाकि टॉयलेट में इस्तेमाल करने से नुकसान तक तो ठीक लेकिन इस्तमाल के बाद लोग इनको फ्लश करते हैं जिससे ये खतरनाक केमिकल वाला टॉयलेट पेपर नदी या नालों में जाकर पानी को जहरीला कर देते हैं। ये खुलासा किया है अमेरिका में हुए एक नया शोध में।
इनके इस्तेमाल से क्या है नुकसान
टॉयलेट पेपर बनाने के लिए पूरे विश्व में रोजाना 27 हजार से ज्यादा पेड़ काटे जाते हैं। पर्यावरणविदों का कहना है कि टिश्यू पेपर या टॉयलेट पेपर में PFS होते हैं जो फॉरएवर केमिकल भी कहे जाते हैं ये बड़े खतरनाक किस्म के रसायन होते हैं। इससे अनेको बिमारियां होती हैं, इससे त्वचा के संपर्क में आने से स्किन कैंसर जैसी गंभीर समस्या हो सकती है, इसके अलावा लिवर और किडनी संबंधित बीमारी में भी कारण हो सकते हैं।
टॉयलेट पेपर में हजारों घातक रसायन होते हैं
रिपोर्ट के मुताबिक टॉयलेट पेपर में 14000 घातक रसायन होते हैं। साफ सफाई के लिए ईजी सोलूबल और बायोडिग्रेडेबल टॉयलेट पेपर बनाने चाहिए। माना जाता है कि भारत में एक आदमी 123 ग्राम औसतन टॉयलेट पेपर यूज़ करता है हालाकि ये आंकड़ा अमेरिका से बहुत कम है। लेकिन इस पर काम करने की जरूरत है, प्रकृति से जुड़ना जरूरी है और ऑर्गेनिक प्रोडक्ट ही यूज़ करें।